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Aakhir Vastu Shastr Kya Hai - वास्तु शास्त्र का क्या महत्ब है

 Aakhir Vastu Shastr Kya Hai - वास्तु शास्त्र का क्या महत्ब है 

Akhir Vastu Shastra Kya Hai
Vastu Shastr Kya Hai

जैसा की हम सब जानते हैं की ये मानव शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है , जो की आकाश ,अग्नि , वायु , जल ,एवं पृथ्वी है  , जब मानव के जीवन में इन पांचो तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है तो मानव के जीवन में परेशानियों का आना शुरू हो जाता है ,जिसका असर हमारे यानि के मनुष्य के भाग्य , स्वाभाव ,एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर पड़ता है , वास्तु शास्त्र वह विज्ञान है जिसके द्वारा संतुलन को बनाया रखा जाता है ,असल में वास्तु शास्त्र भारत की एक प्राचीन विद्या है , जो की देवता श्री विश्वकर्मा जी द्वारा  निर्मित है , इसलिए इन सब का वर्णन हमारे वेदो में किया गया है।भगवान  विश्वकर्मा का नाम विश्व की रचना के  लिए हुआ है 

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हमारा जीवन , हमारा निवास्थान ,आस-पास  की सभी भौगोलिक स्तिथि हमारे लिए फायदेमंद हो इसके लिए हमें वास्तु शास्त्र का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है। 

हर चीज में एक वजन होता है ,और हर वस्तु का एक गुरुत्वाकर्षण केंद्र होता है ,जिसे 
इंग्लिश में सेंटर ऑफ़ मॉस कहते हैं  , पृथ्वी अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण प्रत्येक वस्तु को अपनी और खींचती है , यदि किसी भारी चीज को ऊपर से गिराया जाए तो वो ठीक नीचे गिरेगी , यदि इसकी जगह किसी हलकी चीज को जैसे की पत्ते को ऊपर से नीचे गिराया जाए तो वो ठीक नीचे न गिरकर थोड़ी दूर जाकर गिरेगा , यानी की वस्तु पर वायु ,जगह ,भार पृथ्वी का आकर्षण एवं सौर ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है , उस वस्तु के संबंध में ज्ञान प्राप्त करने को वास्तु ज्ञान कहते हैं। 

हम  अपने जीवन में कई तरह की वस्तुओं का उपयोग करते हैं  जैसे वाहन ,सोफे ,अलमारी,बेड ,टीवी आदि , सम्पूर्ण रूप से देख जाए तो अपना घर भी एक वस्तु ही है , अतः इसका भी एक गुरुत्वाकर्षण का केंद्र होता है ,पृथ्वी पर जो उत्तरी ध्रुव की चुंबकीय है उसका , सूर्य की सौर ऊर्जा का एवं वायु का उस सेंटर ऑफ़ मॉस पर केसा प्रभाव पड रहा है ये जाना बहुत आवश्यक होता है , क्यों इसी पर घर की सारी  सुख शांति निर्भर होती है। 
प्रत्यक्ष उदहारण के लिए यदि आपका घर रेलवे लाइन के पास है तो ट्रैन गुजरने पर मकान में एक कम्पन होता है , उसी तरह ये शक्तियां जो की चुंबकीय शक्ति , सौर ऊर्जा शक्ति , वायु भी जो की हमें दिखाई नहीं देती ,भी हमारे घर पर असर डालती है। 
अतः इसी चीज को जाने के लिए वास्तु शास्त्र का ज्ञान होना आवश्यक है। 

जैसा की हमने बताया की पूरी श्रस्टि का निर्माण पांच तत्वों से मिलकर हुआ है जो की आकाश , पृथ्वी , वायु , जल एवं अग्नि है , वास्तु शास्त्र  
इनका संतुलन हमारे घर में भी होना चाहिए , अब इनका संतुलन कैसे हो 

आकाश :

आकाश तत्व की प्राप्ति के लिए हमें अपने घर में एक खुला आँगन रखना चाहिए , पहले तो लगभग हर घर में एक खुला आँगन हुआ करता था ,पर अब आधुनिकता के ज़माने में ये गायब हो गया है। 

पृथ्वी :

पृथ्वी हर तरह की शक्तियों का भार सहन करती है , पृथ्वी में खुद की चुंबकीय शक्ति होती है जो की इसके उत्तर एवं दक्षिण में होती   है , वेदों में कहा गया है की जो पूरे ब्रह्माण्ड में है वो हमारे पूरे शरीर में है ,अतः हमारे शरीर में उत्तरी ध्रुव हमारे सिर में तथा दक्षिण ध्रुव हमारे पैरों में होता है ,दो समान्तर ध्रुवों में आकर्षण होता है तथा दो अलग ध्रुवो में विघटन होता है ,अतः यदि हमारा सिरहाना दक्षिण की तरफ होगा तो पृथ्वी तत्व का आकर्षण होगा जिससे अच्छी नीद आएगी। 

वायु :

जो हवाएं पूर्व साइड से चलती हैं उनमें सूर्य  की ऊर्जा होती है ,और जो उत्तर साइड से हवा चलती है उनमें ठंडक होती है इसलिए उत्तरी पूर्वी दिशा में अधिक खिड़की एवं खुला होना चाहिए जिससे ऊर्जा युक्त हवा घर में प्रवेश कर सके। 

जल :

जल तत्व की प्राप्ति के लिए हमें घर के उत्तरी पूर्व में जल का संसाधन रखना चाहिए। 

अग्नि :

अग्नि तत्व की प्राप्ति हमें सूर्य से होती है , सूर्य की किरणे हमें सही तरह से प्राप्त हो सके इसके लिए उत्तर पूर्व में खुली भूमि रखनी चाहिए। 

अतः हम इन पांचो तत्वों का संतुलन इस प्रकार से कर सकते है , और वास्तु शास्त्र में क्या है , अलग अलग ग्रहों पर इसका किस तरह से प्रभाव पड़ता है , इसके लिए हम और भी आर्टिकल आपकी जानकारी के लिए लाएंगे , यदि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होतो इसे शेयर जरूर करें और हमरा ब्लॉग को फॉलो जरूर करें। 







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