दुर्गा सप्तशती का पाठ हिंदी में
दुर्गा सप्तशती का पाठ हिंदी में Play & Listen Durga Saptshati Ka Paath नवरात्री में मैया का दुर्गा सप्तशती का पाठ हिंदी में सुनिए |
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दुर्गा सप्तशती का पाठ क्या है
दुर्गा सप्तशती पाठ वैदिक संस्कृति का परम पावन ग्रन्थ हैं। इसमें जगत जननी जगदम्बा महात्मय के साथ साथ अलोकिक गूढ साधन सहित रहस्यों का भी सुखद वर्णनं हैं।
दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से क्या फायदा होता है
व्यक्ति दुर्गा सप्तशती पाठ की आराधना करके दुर्लभ से दुर्लभ वास्तु को भी प्राप्त करसकता है। दुर्गा सप्तशती का पाठ मोक्षप्रदायनी भी है।
दुर्गा सप्तशती में कितने मन्त्र हैं
दुर्गा सप्तशती में उवाच , अर्ध , त्रिपान एवं श्लोक मिलाकर 700 मन्त्र हैं। ये वैदिक विधि द्वारा संसोधित परम पवित्र होने के कारण तुरंत फल दायक है
दुर्गा सप्तशती पाठ करने की विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें , उसके बाद किसी पवित्र स्थान पर वहां पर पवित्र आसान विछाकर साथ में शुद्ध जल पूजन सामिग्री (रोली ,चन्दन,धुप,कपूर,अछत , मिष्ठान ,दीपक,सुपारी , पान आदि )
रखें। पूर्व दिशा की और मुख करके सामने किसी चौका पट्टा आदि पर भगवती का चित्र स्थापित करें।
उनका विधिवत पूजन करके ध्यान सहित स्तवन करें। फिर प्रसाद स्वरुप चन्दन , रोली अथवा भस्म मस्तक पर लगाकर दुर्गा सप्तशती की पुस्तक पूजन के बाद पाठ प्रारम्भ करें।
पाठ में पहले कवच फिर अर्गला और किलक का पाठ करके दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
दुर्गा सप्तशती के पाठ के बाद हवन करें
दुर्गा सप्तशती पाठ में हवन करने की विधि
दुर्गा सप्तशती के पाठ के उपरान्त हवन का विशेष महत्त्व है। तिल ,चावल,जौ ,शक्कर , घी , कपूर , मेवा मिलाके उत्तम हवन सामिग्री से सप्तशती के मन्त्र पढ़के हवन करें। प्रत्येक मन्त्र, उवाच, अर्ध, त्रिपान ,पद पढ़ने के पश्चात स्वाहा का उच्चारण करके अग्नि में घृत एवं सामिग्री की आहुति दें।
विशेष ध्यान देने योग्य यह है की कवच अर्गला और किलक के मन्त्र पढ़के हवन चाहिए ऐसा करने से पाप की प्रवत्ति होती है।
हवन के पश्चात अपनी शक्ति के अनुसार कन्याओं को भोजन करने , दक्षिणा वस्त्रादि दान करने शुभफल की प्राप्ति होती है।
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