नवरात्री का व्रत एवं पूजा कैसे करें
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नवरात्री का व्रत एवं पूजा कैसे करें |
सभी प्रभु के भक्तों को जय श्री कृष्णा राधे राधे एवं जय माता दी
नवरात्री का पर्व जो की बहुत ही आस्था का पर्व है , इस नवरात्री में या इस नवदुर्गा में जोभी व्यक्ति भाव से मन से माता की दुर्गा माता की पूजा करता है उसे मनवांछित फल अवश्य प्राप्त होता है।
नवरात्री पर्व चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर राम नवमी तक मनाया जाता है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार , इन दिनों जो भी व्यक्ति व्रत रखता है , उसपर माँ अपनी कृपा करती है।
तो आईये जानते हैं नवरात्री के व्रत करने की एवं पूजा करने की क्या विधि है और उस किस तरह से करते हैं।
नवरात्री के लिए जो पूजा सामिग्री की जरुरत पड़ती है पहले उसका जिक्र कर लेते हैं.
नवरात्री की पूजा के लिए आवश्यक वस्तुएं
1 . माँ दुर्गा की फोटो या मिटटी की प्रतिमा हो
2. माँ को चढाने के लिए लाल चुनरी
3 .एक कलश
4 मुख्य द्वार के लिए आम की पत्तियां
5. चावल
6. आसान बैठने के लिए
7 .माता पर चढाने के लिए सिंन्दूर
8 . दुर्गा सप्तशती की पुस्तक
9. लाल कलावा
10. चन्दन
11. गंगाजल
12. शहद
13 नारियल
14. कपूर
15. देसी घी
16 जौ के बीज
17. मिटटी का बर्तन
19. पान के पत्ते
20. गूगल
21. लाल फूल विशेषकर गुड़हल का फूल
22. माला
23. सुपारी
24 लौंग
25. इलायची
26. लाल कपडा
27. चौकी
28. कुछ फल
29. बताशे
नवरात्री के दिन कलश की स्थापना होती है , जिससे पूरे घर के वातावरण में सकरात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है , इसके साथ कई लोग अखंड ज्योत भी जलाते हैं।
इस कलश की स्थापना के साथ ही आप संकल्प लेकर व्रत की भी शुरुआत कर सकते हैं।
आइये जानते हैं की नवरात्री की पूजा कैसे शुरू करें
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नानं करें ोे स्वक्छ वस्त्र पहनें ,घर के मंदिर की भी सफाई करें फिर एक साफ़ सुथरी चौकी या पट्टा जो भी आपके पास हो उसे विछाएँ , उसपर गंगाजल का थोड़ा छिड़काव् करके उसे शुद्ध करलें ,ये बहुत जरुरी है की गंगाजल आपके घर में होना चाहिए यदि न हो तो आप उसे पहले ही माँगा कर रख लें ,चौकी के पास एक छोटा सा वर्तन रखें और बहार से शुद्ध मिटटी लेकर उस वर्तन में डाल दें और उस मिटटी में जौ को वो दें।
चौकी पर लाल कपडे को विछाकर उस पर दुर्गा माँ की या तो प्रतिमा या चित्रपट स्थापित करें , माँ को चुनरी उढ़ायें और माँ को तिलक लगाएं,माँ के पास हिहि नारियल को रखें और उस पर भी तिलक लगाएं ,माँ को फूलों की माला पहनाएं ,उसके बाद कलश की स्थापना की तैयारी करें ,जिसके लिए सबसे पहले एक स्वस्तिक बनालें , कलश में जल , रोरी , सुपारी एवं सिक्के उसमें दाल दें फिर उस कलश को लाल कपडे से लपेटदें , कलश की पूजा करते हुए नौ दिन तक देवी जी की पूजा करें , नौ दिन तक देवी जी के आगे रोज ज्योति जलानी चाहिए , जल रोरी चावल लौंग बताशे गूगल प्रसाद फल फूल माला दीपक जलाके आरती करना चाहिए।
नवरात्री में अगर कोई बहार देवी माँ के दर्शन करने जाए तो पूजा की सामिग्री साथ लेकर जाना चाहिए इसके साथ मंदिर में दक्षिणा भी चढ़ानी चाहिए।
अब नवरात्रिं में व्रत क्यों और कैसे रखना चाइये वह जान लेते हैं.
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष के प्रतिपदा से लेकर नौ दिन तक विधिपूर्वक व्रत करें , यदि दिन भर का व्रत न कर सकें तो एक समय का भोजन करें , विद्द्वान ब्राह्मणो से पूछकर घट की स्थपना करें और वाटिका बनाकर उसे प्रतिदिन जल से सींचें ,महाकाली महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्ति या चित्रपट स्थापित करके नित्य विधिपूर्वक पूजा करें एवं पुष्पों से विधिपूर्वक अर्घ दें ,विधिपूर्वक नो दिन अर्घ दें एवं नैव दिन हवं करें , खांड घी गेहूं शहद जौ तिल विल्व नारियल दाख और कादम्ब आदि से हवन करें , व्रत करने वाला व्यक्ति विधिविधान से हवन कर आचार्य को बड़ी नम्रतापूर्वक प्रणाम करे एवं यज्ञ की सिद्धि के लिए उनेह दक्षिणा दें।
इस प्रकार बताई हुई विधि के अनुसार जो व्यक्ति व्रत करता है उसके सब मनोरथ सिद्ध होते हैं इसमें तनिक भी संदेह नहीं है , इन नौ दिनों में दान आदि जो भी दिया जाता है उसका करोङो गुना फल मिलता हैं इस नवरात्र में व्रत करने से अश्व्मेघयज्ञ का फल प्राप्त होता है।
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