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शिव रक्षा स्तोत्रम पाठ अर्थ सहित - Shiv Raksha Stotram Paath with Meaning & Benifit In Hindi

             शिव रक्षा  स्तोत्रम पाठ अर्थ सहित

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 शिव रक्षा  स्तोत्रम पाठ 

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शिवरक्षा   स्तोत्रम   पाठ अर्थ सहित 

Shiv Raksha Stotram Paath with Meaning In Hindi


विनियोग-ॐ अस्य श्री शिवरक्षास्तोत्रमंत्रस्य याज्ञवल्क्यऋषिः, श्री सदाशिवो देवता, अनुष्टुपछन्दः श्री सदाशिवप्रीत्यर्थं शिव रक्षा स्तोत्रजपे विनियोगः।

अर्थ- ॐ इस शिव रक्षा स्तोत्र मन्त्र के याज्ञवल्क्य ऋषि हैं श्रीसदाशिव देवता हैं अनुष्टुप छंद है, श्री सदाशिव की प्रसन्नता के लिए शिव रक्षा स्तोत्र के जप का यह विनियोग है।

चरितम् देवदेवस्य महादेवस्य पावनम् ।

अपारम् परमोदारम् चतुर्वर्गस्य साधनम् ।1।

अर्थ- देवों के देव महादेव का चरित (वर्णन) पवित्र-पावन है, अपार (जिसका अंत न हो) है, परम उदार है और धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष इन चारों वर्गों को सिद्ध करने वाला है।

गौरी विनायाकोपेतम् पंचवक्त्रं त्रिनेत्रकम् ।

शिवम् ध्यात्वा दशभुजम् शिवरक्षां पठेन्नरः।2।

अर्थ-जो गौरी और विनायक के साथ हैं, त्रिनेत्रधारी और पंचमुखी शिव हैं, उन दशभुज का ध्यान करके शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

गंगाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दु शेखरः।

नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः ।3।

अर्थ-अपनी जटाओं में गंगा को धारण करने वाले मेरे मस्तक की रक्षा करें, अर्धचन्द्र धारण करने वाले मेरे माथे की रक्षा करें। कामदेव का ध्वंस (संहार) करने वाले मेरे नेत्रों की रक्षा करें, सर्प को आभूषण की तरह पहनने वाले मेरे कानों की रक्षा करें।

घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः ।

जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः ।4।

अर्थ-त्रिपुरासुर का वध करने वाले मेरी नाक की रक्षा करें, जगत के स्वामी जगत्पति मेरे मुख की रक्षा करें। वाणी के देव वागीश्वर मेरी जिव्हा की और शितिकंधर ( नीले गले वाल) मेरी गर्दन की रक्षा करें।

श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः ।

भुजौ भूभार संहर्ता करौ पातु पिनाकधृक् ।5।

अर्थ-श्री अर्थात सरस्वती जिनके कंठ में स्थित हैं वे मेरे कंठ की रक्षा करें, विश्व की धुरी को धारण करने वाले शिव मेरे कन्धों की रक्षा करें। [असुरों को मारकर] पृथ्वी के भार को कम करने वाले मेरी भुजाओं की रक्षा करें, पिनाक (धनुष) धारण करने वाले मेरे हाथों की रक्षा करें।

हृदयं शङ्करः पातु जठरं गिरिजापतिः।

नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्रजिनाम्बरः ।6।

अर्थ-शंकर जी मेरे ह्रदय की रक्षा करें, गिरिजापति मेरे जठर (पेट) रक्षा करें। श्री मृत्युंजय मेरी नाभि की रक्षा करें और व्याघ्र (बाघ) के चर्म को पहनने वाले मेरी कमर की रक्षा करें।

सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागत वत्सलः।

उरु महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः ।7।

अर्थ-दीन-दुखियों और शरणागतों से प्रेम करने वाले मेरी हड्डियों की रक्षा करें, महेश्वर मेरी जाँघों की रक्षा करें तथा जगदीश्वर मेरे घुटनों (जानुनों) की रक्षा करें।

जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः ।

चरणौ करुणासिन्धुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः ।8।

अर्थ-जगत के रचयिता जंघाओं की रक्षा करें, गणों के अधिपति मेरे टखनों की रक्षा करें, करुना के सागर मेरे पैरों की रक्षा करें और सदाशिव मेरे सभी अंगों की रक्षा करें।

एताम् शिवबलोपेताम् रक्षां यः सुकृती पठेत्।

स भुक्त्वा सकलान् कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्।9।

अर्थ-जो सुकृती (धन्य) व्यक्ति शिवकीशक्ति से युक्त इस रक्षा [स्तोत्र] का पाठ करता है, वह सभी कामों (इच्छाओं) को भोग कर अंत में शिव से मिल जाता है (शिव के समीप हो जाता है। )

गृहभूत पिशाचाश्चाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।

दूराद् आशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्।10।

अर्थ-तीनों लोकों में जितने भी ग्रह, भूत, पिशाच आदि विचरते हैं, वे सब शिव के नामों से मिली रक्षा से तत्काल दूर भाग जाते हैं।

अभयम् कर नामेदं कवचं पार्वतीपतेः ।

भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम् ।11।

अर्थ-जो भी पार्वतीपति शिव के इस कवच को अपने कंठ में भक्ति के साथ धारण कर लेता है, तीनों लोक उसके वश में हो जाते हैं।

इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽदिशत् ।

प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यस्तथाऽलिखत् ।12।

अर्थ-श्री नारायण ने सपने में याज्ञवल्क्य ऋषि को इस शिवरक्षा स्तोत्र का जैसा उपदेश दिया, योगीन्द्र ने प्रातः उठकर वैसा ही इसे लिख दिया।

।इति श्री शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम।

शिव रक्षा  स्तोत्रम पाठ करने के फायदे  - 
Shiv Raksha Stotram Paath Benifit In Hindi

  • शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ करने से मन शुद्ध होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  • यह भगवान शिव से आशीर्वाद और सुरक्षा प्रदान करता है, जो अज्ञानता और बाधाओं का नाश करने वाले हैं।
  • यह भगवान शिव में भक्ति और विश्वास बढ़ाने में मदद करता है, जिससे आध्यात्मिक विकास होता है।
  • यह जीवन में कठिनाइयों और चुनौतियों को दूर करने में मदद करता है।
  • यह शांति और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करता है।
  • यह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति पाने में मदद करता है।
  • यह एकाग्रता और ध्यान केंद्रित करने में सुधार करने में मदद करता है।
  • यह स्मृति और मानसिक स्पष्टता में सुधार करने में मदद करता है।
  • यह समग्र स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करने में मदद करता है।
  • यह जीवन के सभी पहलुओं में आशीर्वाद और समृद्धि लाने में मदद करता है।

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