रसिया क्या होता है? इसकी उत्पत्ति और इतिहास
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ब्रज में क्यों गाए जाते हैं रसिया |
रसिया उत्तर भारत के ब्रज क्षेत्र में प्रचलित एक लोकगीत शैली है, जो कृष्ण‑राधा के प्रेम रस को दर्शाती है। जानिए इसकी उत्पत्ति, संरचना, और सांस्कृतिक महत्व।
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🎵 1. रसिया: लोकगीत की एक रंगीन शैली
रसिया (Rasiya) उत्तर प्रदेश के ब्रज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन, नंदगांव, बरसाना, गोवर्धन) में विशेष रूप से लोकप्रिय एक लोकगीत शैली है। यह नाम संस्कृत मूल ‘रसिक’ से आया है, जिसका अर्थ है “रस का सौष्ठव जानने वाला”, यहाँ विशेष रूप से कृष्ण को संदर्भित करता है muse.jhu.edu+4researchgate.net+4timesofindia.indiatimes.com+4।
प्रमुख तत्व:
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विषय: राधा–कृष्ण प्रेम, हास्य, शृंगार रस
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भाषा: ब्रजभाषा
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वाद्य: ढोलक, सरंगी, भम, हार्मोनियम
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मौके: होली, लोक‑मेलें, मंदिर, समूह‑गायन
2. रसिया की इतिहासिक पृष्ठभूमि
2.1 ब्रज संस्कृति एवं भक्ति आंदोलन
16वीं–17वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन के दौर के साथ ब्रज में कृष्ण–राधा भक्तिगीतों का विकास हुआ। रसिया इसी लोक‑भक्ति धारा का हिस्सा बन गया, जिसमें प्रेम और हास्य दोनों‑तरह की झलक मिलती थी ।
2.2 Hathrasi रासिया का उद्भव
20वीं सदी में ब्रज की एक उपशैली विकसित हुई — Hathrasi Rasiya। यह लोक और शास्त्रीय संगीत के बीच की 'इंटरमीडिएट श्रेणी' है, जिसमें क्लब (अखाड़ा) आधारित गायन और काव्य‑तुकबंदी (जवाबी कीर्तन) प्रमुख हैं newsindiatimes.com+4muse.jhu.edu+4academicworks.cuny.edu+4।
प्रसिद्ध रसिया लेखक:
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रासखान
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सूरदास
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नंददास
इन कवियों ने रसिया शैली को नई ऊँचाइयाँ दीं।
3. रसिया की संरचना और शैलीगत विशेषताएँ
3.1 स्टॉक मेलोडी और संगीत संरचना
रसिया गीतों में लगभग 20 “स्टॉक ट्यून” होते हैं जैसे ‘तरज़’, ‘बहार’, ‘धुन’, जिन्हें कई गायकों द्वारा अपनाया गया है en.wikipedia.org।
3.2 विषयगत विविधता
परंपरागत रसिया गीतों में कृष्ण–राधा प्रेम प्रमुख होता है, जबकि आधुनिक रासिया में हास्य, व्यंग्य, और कभी-कभी यौन रूपक भी मिलते हैं ।
3.3 प्रदर्शन शैली
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लोकल संगीत मंडल: गाँवों के कलाकार, अखाड़ों के समूह
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वाद्य साधन: ढोलक, सरंगी, भम, हार्मोनियम
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प्रतियोगिता: लठमार होली जैसे आयोजन में पुरुष‑महिला समूह के बीच रसिया प्रतिस्पर्धा academicworks.cuny.edu+9bharatonline.com+9anahad.ngo+9।
4. होली और रसिया का अनोखा सामंजस्य
ब्रज क्षेत्र में होली के दौरान रसिया गायन अपनी चरम सीमा पर होता है। लठमार होली में रसिया गायन टीम्स (राधा‑कुंड और कृष्ण‑कुंड) आपस में गाने‑वादन और चुटकियों के जरिए खेळती हैं, जिसमें हास्य और मनोऱंजन भरपूर होता है ।
उदाहरण:
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प्रसिद्ध होली गीत: “आज बिराज में होरी रे रसिया…” — जिसे बाद में शास्त्रीय गायिका शोभा गुरतु (Padma Bhushan) ने भी गाया था ।
5. आधुनिक काल में रसिया
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मीडिया पर लोकप्रियता: ISKCON और ब्रज‑धाम हवेली आयोजनों में हवेली‑संगीत का हिस्सा
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यूट्यूब/डीजे‑संस्कृति: “DJ रसिया”, Hathrasi रासिया प्रतियोगिताओं के रिकॉर्डिंग
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भोजपुरी/लोकल सिंगर्स: गांव‑देहात में लाइव सेवाएं
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फिल्मी प्रभाव: ‘रसिया’ जैसे शब्द बॉलीवुड ट्रैक में भी सुनाई पड़ा करते हैं (जैसे फिल्म Pardesi, गीत “Rasiya Re Man Basiya Re”) anahad.ngo+4muse.jhu.edu+4academicworks.cuny.edu+4en.wikipedia.org।
6. सांस्कृतिक और संगीतशास्त्रीय महत्व
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स्थानीय ब्रज भाषा और संस्कृति का प्रतिनिधित्व
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शास्त्रीय और लोक संगीत का पूल, विशेषकर Hathrasi रासिया
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सामाजिक आयोजन (होली, मौसम‑त्योहार) में लोक मनोरंजन का साधन
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रामायण/महाभारत से अलग; यह पूर्णतः कृष्ण–राधा‑केंद्रित लोक‑भावनाओं का प्रतिबिंब है
7. रसिया का भविष्य: सुरक्षित या विलुप्त?
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स्थानीय कलाकार जैसे Prem Kumar Sharma ने Hathrasi रसिया को संरक्षित किया है anahad.ngo
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लेकिन शहरीकरण और बॉलीवुड/पीपुलर म्यूजिक में डूबने से रसिया एक मंध अवस्था में है reddit.com
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इसकी सुरक्षा के लिए:
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ग्राम‑स्तरीय दस्तावेजीकरण
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संगीत अकादमिकों की रिकॉर्डिंग & अध्ययन
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स्कूल‑कॉलेज पाठ्यक्रम में लोक संगीत का समावेश
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रसिया की विशेषताएँ
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भाषा: ब्रजभाषा
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मुख्य भाव: शृंगार रस (प्रेम और हास्य)
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वाद्य यंत्र: ढोलक, झांझ, मंजीरा
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प्रदर्शन शैली: समूह में गाया जाता है, विशेषतः मेलों, मंदिरों, होली और जनोत्सवों में।
भाषा: ब्रजभाषा
मुख्य भाव: शृंगार रस (प्रेम और हास्य)
वाद्य यंत्र: ढोलक, झांझ, मंजीरा
प्रदर्शन शैली: समूह में गाया जाता है, विशेषतः मेलों, मंदिरों, होली और जनोत्सवों में।
8. रसिया आप कैसे सुन सकते हैं?
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यूट्यूब/Spotify पर: Hathrasi रसिया क्लिप्स, ब्रज‑होली गीत
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स्थानीय आयोजनों में: होली वीक में ब्रज‑धाम हवेली, ब्रज संस्कृति त्योहार
निष्कर्ष
रसिया केवल एक लोकगीत नहीं है, यह ब्रज की भक्ति, संस्कृति, समुदाय और प्रेम‑भावना का जीवंत अनुभव है। 16वीं शताब्दी से आज तक पनपे इस स्वरूप को संरक्षित रखना हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी है।
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