W3.CSS
Bhakti Ras Pravah-भक्ति रस प्रवाह

स्वस्तिवाचन मंत्र: पूजा से पहले क्यों करें? इसका सही उच्चारण, फायदे और विधि

 

स्वस्तिवाचन मंत्र: पूजा से पहले क्यों करें? इसका सही उच्चारण, फायदे और विधि

Swastivachan mantra ke liye Om aur Swastik ka spiritual image jo pooja se pehle shubh prarambh darshata hai
स्वस्तिवाचन मंत्र:


परिचय

भारतीय धार्मिक परंपरा में हर शुभ कार्य की शुरुआत एक पवित्र मंत्र से होती है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण मंत्र है स्वस्तिवाचन मंत्र। यह मंत्र पूजा, हवन या किसी भी शुभ कार्य के आरंभ में बोला जाता है ताकि कार्य में शांति, सफलता और शुभता बनी रहे। इस ब्लॉग में हम जानेंगे स्वस्तिवाचन मंत्र का सही उच्चारण, इसके अद्भुत फायदे, कब और कैसे करें, और इसे क्यों पूजा से पहले करना आवश्यक माना जाता है।


स्वस्तिवाचन मंत्र क्या है?

स्वस्तिवाचन शब्द का अर्थ है “शुभकामना” या “शुभकामना का उच्चारण”। वैदिक परंपरा में स्वस्तिवाचन मंत्र को पूजा के प्रारंभ में पढ़ा जाता है ताकि वातावरण पवित्र हो जाए और पूजा या कार्य सफल और मंगलमय हो।

यह मंत्र यजुर्वेद और ऋग्वेद के कुछ श्लोकों से लिया गया है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा की कामना करते हैं।


स्वस्तिवाचन मंत्र का संपूर्ण पाठ (Sampoorn Mantra)

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।  
स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।  
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः।  
स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।  
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥

स्वस्तिवाचन मंत्र के फायदे

  1. शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार
    स्वस्तिवाचन मंत्र वातावरण को पवित्र बनाता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।

  2. पूजा और शुभकार्य की सफलता
    इस मंत्र के उच्चारण से पूजा और अन्य धार्मिक कर्म सफल होते हैं और उनमें विघ्न नहीं आते।

  3. दिव्य संरक्षण
    यह मंत्र देवताओं का आह्वान करता है और व्यक्ति के जीवन में दिव्य सुरक्षा लाता है।

  4. संतुलन और मन की शांति
    नियमित जाप से मानसिक शांति और स्थिरता मिलती है, जिससे मन प्रसन्न रहता है।


स्वस्तिवाचन मंत्र कब करें?

  • पूजा से पहले – हर धार्मिक कर्म जैसे हवन, गृहप्रवेश, विवाह, नामकरण आदि से पहले यह मंत्र ज़रूर पढ़ा जाता है।

  • शुभ कार्यों के प्रारंभ में – जैसे व्यापार शुरू करना, यात्रा आरंभ करना, नई वस्तु खरीदना आदि।

  • संकट और अशांति के समय – मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा के लिए।

  • दिन की शुरुआत में – दिन की शुरुआत सकारात्मक ऊर्जा के साथ करने के लिए।


स्वस्तिवाचन मंत्र कैसे करें?

  1. शांत स्थान चुनें: पूजा या मंत्र जाप के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें।

  2. संतुलित मन और श्रद्धा के साथ: मन को स्थिर रखें और श्रद्धा के साथ मंत्र का उच्चारण करें।

  3. मंत्र उच्चारण: ऊपर दिया गया मंत्र स्पष्ट और शुद्ध उच्चारण में दोहराएं।

  4. धूप, दीप और फुल-माला: अगर संभव हो तो धूप जलाएं, दीप प्रज्ज्वलित करें और माला से जाप करें।

  5. दिव्यता के लिए: "ॐ" और "स्वस्तिक" चिन्हों का प्रयोग वातावरण को पवित्र बनाने के लिए करें।


निष्कर्ष

स्वस्तिवाचन मंत्र न केवल पूजा की शुरुआत का हिस्सा है बल्कि यह जीवन में शुभता, शांति और सफलता का मार्गदर्शक भी है। इसे नियमित और सही विधि से करने पर आपके घर और जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। इसलिए, किसी भी पूजा या शुभकार्य से पहले इस मंत्र को ज़रूर पढ़ें।




Post a Comment

0 Comments