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32 Purnima Vrat: पूजा विधि, संपूर्ण व्रत कथा और लाभ | हर पूर्णिमा का व्रत क्यों करें?

 32 Purnima Vrat क्या है? जानिए इसका महत्व और उद्देश्य

Bhakt 32 Purnima Vrat ki Pooja Karte Hue - Vishnu Bhagwan aur Lakshmi Ji ke Saath
32 Purnima Vrat Katha


हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। वर्षभर की 12 पूर्णिमाओं में विशेष ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति होती है। 32 Purnima Vrat एक ऐसा व्रत है जिसमें कोई भी भक्त लगातार 32 पूर्णिमा तिथियों पर व्रत करता है।

इस व्रत को करने से सभी दुखों का नाश होता है और भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इसे पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं।

🙏 32 Purnima Vrat Vidhi (कैसे करें यह व्रत)

  1. प्रत्येक पूर्णिमा तिथि पर व्रत का संकल्प लें।

  2. ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

  3. घर या मंदिर में भगवान विष्णु, शिव, लक्ष्मी, या सत्य नारायण की पूजा करें।

  4. व्रत में जल, फल, दूध, पंचामृत, तुलसी पत्र आदि अर्पित करें।

  5. व्रत कथा पढ़ें या सुनें (नीचे दी गई है)।

  6. संध्याकाल में दीपक जलाकर आरती करें।

  7. संभव हो तो पूरे दिन उपवास रखें, या फलाहार करें।

  8. 32वीं पूर्णिमा पर विशेष पूजन, ब्राह्मण भोजन और दान करें।

  9. 32 पूर्णिमा व्रत की कथा (विस्तृत)


    कथा प्रारंभ

    प्राचीन काल में एक धनवान राजा हुआ करता था, जिसका नाम हरिहर था। वह बहुत धार्मिक और दयालु था, लेकिन उसके घर में कोई संतान नहीं थी। राजा अपने संतानहीन जीवन से बहुत दुखी रहता था और उसने अनेक साधु-संतों से इसका उपाय पूछा।

    एक बार उसे एक महात्मा मिले, जिन्होंने कहा — "हे राजा! यदि आप 32 पूर्णिमा व्रत श्रद्धा और भक्ति से करें, तो आपके सारे कष्ट दूर होंगे और आपको संतान सहित सब सुख प्राप्त होंगे।"

    राजा ने तुरंत ही उस व्रत को शुरू करने का संकल्प लिया।


    व्रत की विधि और फल

    राजा ने अपने राज्य के सभी मंत्री और पुरोहितों को आदेश दिया कि वे इस व्रत की विधि का पालन करें। उसने 32 लगातार पूर्णिमा के दिन व्रत रखा, पूजा-अर्चना की और पूरी श्रद्धा से कथा सुनी।

    हर पूर्णिमा पर उसने भगवान विष्णु, लक्ष्मी माता और शिवजी की पूजा की, ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान पुण्य किया।


    राजा का स्वप्न और दर्शन

    32वीं पूर्णिमा की रात को राजा को स्वप्न में भगवान विष्णु के दर्शन हुए। भगवान विष्णु ने उससे कहा, "हे हरिहर! तुम्हारे इस व्रत से तुम्हारे सारे कष्ट समाप्त हो गए हैं। तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी और राज्य में अमूल्य समृद्धि आएगी।"

    राजा ने जागकर संकल्प किया कि वह व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करता रहेगा।


    व्रत के फल

    कुछ ही महीनों बाद, राजा की रानी गर्भवती हुई और एक पुत्र का जन्म हुआ। पूरा राज्य आनंदित हो उठा। राजा ने अपने प्रजा को भी 32 पूर्णिमा व्रत करने का उपदेश दिया जिससे सभी के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आई।


    कथा का संदेश

    यह कथा हमें यह सिखाती है कि निरंतर भक्ति, श्रद्धा और संयम से किया गया व्रत जीवन में अपार परिवर्तन ला सकता है। 32 पूर्णिमा व्रत करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं, मानसिक शांति मिलती है और भगवान की कृपा सदैव बनी रहती है।


    अन्य प्रसंग

    कथा में यह भी वर्णित है कि एक निर्धन ब्राह्मण जो गरीबी और बीमारी से परेशान था, उसने भी इस व्रत को धैर्य और श्रद्धा से किया। धीरे-धीरे उसकी गरीबी दूर हुई, स्वास्थ्य ठीक हुआ और परिवार में खुशहाली आई।


    कथा समाप्ति

    अंत में सभी भक्तों को यह प्रेरणा दी जाती है कि वे इस व्रत को अपने पूरे विश्वास और शुद्ध मन से करें। यह व्रत केवल धार्मिक नियम नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि का मार्ग भी है।

  10. 🌸 32 Purnima Vrat Ke Labh (Benefits):

    • आर्थिक तंगी से मुक्ति

    • परिवार में सुख-शांति

    • विवाह एवं संतान संबंधी समस्याओं से राहत

    • नौकरी और व्यवसाय में सफलता

    • रोगों से छुटकारा

    • पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति


    🛐 32 Purnima Vrat Pooja Samagri:

    • जल का कलश

    • पंचामृत

    • तुलसी पत्र

    • फूल, फल, मिष्ठान्न

    • धूप, दीप, कपूर

    • नारियल, लाल वस्त्र

    • भगवान विष्णु या लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र

    📌 32वीं पूर्णिमा पर विशेष कार्य:

    • ब्राह्मण भोजन कराना

    • दान देना (वस्त्र, अन्न, तांबा, स्वर्ण आदि)

    • कथा का सामूहिक पाठ करना

    • मंदिर में दीपदान करना


    🙏 निष्कर्ष (Conclusion):

    32 Purnima Vrat एक अत्यंत प्रभावशाली और शुभ व्रत है। जो भी श्रद्धा से यह व्रत करता है, उसके जीवन से दरिद्रता, कष्ट और रोग दूर हो जाते हैं। यह व्रत आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग है।





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