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“गोवर्धन पूजा 2025: इतिहास, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और सामाजिक-पर्यावरणीय संदेश”

 “गोवर्धन पूजा 2025: इतिहास, महत्व, पूजा विधि, व्रत कथा और सामाजिक-पर्यावरणीय संदेश”


“गोवर्धन पूजा 2025 – भक्तों द्वारा गोवर्धन पर्वत पूजा एवं अन्नकूट का दृश्य


परिचय — गोवर्धन पूजा क्या है?

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट भारत में हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो दीपावली के बाद मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है, जिन्होंने गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से गाँव वालों और पशुओं को बचाया था। यह पूजा अन्न के महत्व, प्रकृति के संसाधनों के संरक्षण, और श्रद्धा-भक्ति का पर्व है।


कीवर्ड्स: गोवर्धन पूजा, अन्नकूट, भगवान कृष्ण, प्रकृति संरक्षण



इतिहास एवं पौराणिक कथा


पौराणिक ग्रंथों में गोवर्धन पूजा की कथा का वर्णन मिलता है:


महाभारत और भागवत पुराण: माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाया था ताकि इंद्र की प्रकोपपूर्ण वर्षा से गाँव सुरक्षित रहें।


गाँवों का जीवन: उस समय लोग इंद्रदेव को वर्षा का देवता मानते थे और बड़े-बड़े पशु-पक्षी और कृषि पर उनकी कृपा निर्भर थी। भगवान कृष्ण ने यह संदेश दिया कि मनुष्य को प्रकृति और जीव-जंतुओं के प्रति नम्र होना चाहिए और जमीन, पेड़-पौधे, नदियाँ आदि ईश्वर की देन हैं।



शुभ मुहूर्त 2025


तारीख: बुधवार, 22 अक्टूबर 2025


प्रातःकालीन मुहूर्त: लगभग 06:26 AM से 08:42 AM तक


सायंकालीन मुहूर्त: लगभग 03:29 PM से 05:44 PM तक


प्रत्योष तिथि: 21 अक्टूबर की शाम से शुरू होकर 22 अक्टूबर की शाम तक रहती है।




पूजा की तैयारी और सामग्री


पूजा सफल हो इसके लिए तैयारी कुछ इस प्रकार हो सकती है:


स्नान व स्वच्छ वस्त्र ( सफेद या रंगीन ) पहनना


पूजा स्थल की सफाई और उस जगह को स्वच्छ रखना


गोवर्धन पर्वत का मॉडल: गोबर या मिट्टी या फूलों से बनाना


पंचामृत तैयार करना: दूध, दही, घी, शहद, चीनी आदि


नैवेद्य सामग्री: फलों, मिठाई, चावल, दाल, पत्ते सब्जियाँ आदि अन्नकूट के लिए


दीपक, धूप, आरती सामान, पुष्प, तुलसी पत्ता, अक्षत (हल्दी + चावल)




 पूजा विधि (Step-by-Step)


1. स्नान और दर्शन

सूर्योदय से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।


2. व्रत संकल्प

मन, वचन और कर्म से व्रत लेने का संकल्प लें — यह व्रत भगवान कृष्ण और गोवर्धन की भक्ति तथा अन्न और पर्यावरण की रक्षा का हो।


3. गोवर्धन पर्वत स्थापित करना

आंगन या पूजा स्थल पर गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत बनाएं। इसके चारों ओर फूल और जल चढ़ाएँ।


4. पूजन एवं अर्पण

पंचामृत अर्पित करें, उसके बाद जल, पुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित हों।


5. अन्नकूट अर्पण

विभिन्न प्रकार के व्यंजन तैयार कर भगवान को अर्पित करें — अन्नकूट का अर्थ है “अन्न का पर्वत”।


6. कथा वाचन

व्रत कथा पढ़ें जिसमें श्रीकृष्ण और इंद्रदेव की कहानी हो।


7. कीर्तन-भजन

भक्तगण मिलकर भजन-कीर्तन करें, कृष्णाष्टक, गोवर्धन स्तुति आदि गाएँ।


8. प्रसाद वितरण

अंत में बने भोजन को परिवार एवं पड़ोसियों में वितरित करें।



क्षेत्रीय परंपराएँ और विविधताएँ


वृंदावन (उत्तर प्रदेश, भारत): यहाँ भक्त बड़ी संख्या में अन्नकूट का आयोजन करते हैं, भक्तगण कृष्ण लीला नाट्य प्रस्तुत करते हैं।


राजस्थान, गुजरात, उत्तर भारत: विभिन्न व्यंजनों का प्रयोग, लोकगीत, सामूहिक भोज, खेती-किसानी से जुड़ी प्रथाएँ विशेष रूप से मशहूर हैं।


बिहार, पूर्वी भारत: तुलसी पूजा और जलाभिषेक की विशेष रस्में भी होती हैं।



सामाजिक-पर्यावरणीय संदेश


प्रकृति सम्मान: यह पर्व हमें याद दिलाता है कि प्रकृति हमारे जीवन की आधारशिला है — पेड़-पौधे, नदी-जल, मिट्टी आदि ईश्वर की देन हैं।


अन्न का महत्त्व: प्रत्येक आहार संसाधन महत्वपूर्ण है, अनावश्यक अपव्यय से बचें।


सामूहिकता और सेवा: भोज वितरण, एक दूसरे की मदद करना, सामूहिक पूजा से सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।




 अक्सर पूछे जाने वाले सवाल


प्रश्न उत्तर


क्या गोवर्धन पूजा पर रोज़ा रखना ज़रूरी है?

यह विकल्प है — यदि आप व्रत रखते हैं, तो सुबह-शाम पूजा और भजन करना चाहिए।

अन्नकूट में क्या-क्या व्यंजन बनाये जा सकते हैं? 

दाल-चावल, सब्जियाँ, फल-फूल, मिठाई, पापड़, खीर, पूड़ी, सब्जी, हलवा आदि।







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