कनागतों की पितृ अमावस्या 2025: महत्व, पूजा विधि और नियम
कनागतों की पितृ अमावस्या (Kanagat Pitra Amavasya) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। यह दिन पितरों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। खासतौर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर भारत के कई हिस्सों में कनागत नाम से इसे जाना जाता है।
इस दिन लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए श्राद्ध, तर्पण, दान और ब्राह्मण भोजन कराते हैं। माना जाता है कि इससे पितरों की आत्मा तृप्त होकर आशीर्वाद देती है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
कनागतों की पितृ अमावस्या 2025 की तिथि और समय
📅 तिथि: 28 सितम्बर 2025 (रविवार)
⏰ अमावस्या प्रारंभ: 27 सितम्बर 2025, रात 11:45 बजे
⏰ अमावस्या समाप्त: 28 सितम्बर 2025, रात 10:15 बजे
👉 इस दिन सूर्योदय के समय श्राद्ध करना सबसे उत्तम माना गया है।
कनागतों की पितृ अमावस्या का धार्मिक महत्व
1. पितृ दोष का निवारण होता है
2. घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है
3. संतान सुख एवं कार्य सिद्धि में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं।
4. पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
पूजा विधि (Pooja Vidhi)
प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
तिल, कुशा और जल से पितरों का तर्पण करें।
ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएँ।
पितरों के नाम से दान करें (अनाज, वस्त्र, धान्य आदि)।
घर में पीपल के वृक्ष या नदी किनारे श्राद्ध करना उत्तम होता है।
कनागत और पितृ अमावस्या में अंतर
कनागत = श्राद्ध पक्ष में 16 दिन जब कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता।
पितृ अमावस्या = श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन, जब सभी पितरों का सामूहिक श्राद्ध किया जाता है।
पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
1. गाय को हरा चारा खिलाएँ।
2. पीपल पर जल चढ़ाएँ।
3. गरीबों को भोजन कराएँ।
4. घर में दीपदान करें।
: ज्योतिषीय दृष्टि से पितृ अमावस्या
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन किए गए श्राद्ध और दान से दोष कम होते हैं और जीवन में उन्नति मिलती हैं
निष्कर्ष
कनागतों की पितृ अमावस्या 2025 हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ किए गए श्राद्ध और तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिवार को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।



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