🌺 महाअष्टमी 2025
प्रस्तावना
भारत की समृद्ध धार्मिक परंपराओं में नवरात्रि का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। नौ रातों तक चलने वाले इस पर्व का आठवां दिन महाअष्टमी कहलाता है। 2025 में यह तिथि विशेष संयोग लेकर आ रही है, क्योंकि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है।
🗓️ तिथि व मुहूर्त अपडेट
महाअष्टमी तिथि: मंगलवार, 30 सितंबर 2025
अष्टमी तिथि आरंभ: 29 सितंबर, शाम 04:32 बजे से
अष्टमी तिथि समाप्त: 30 सितंबर, 06:06 बजे रात तक
Sandhi Puja मुहूर्त: 30 सितंबर को शाम 05:42 बजे से 06:30 बजे तक
महाअष्टमी का धार्मिक महत्व
पुराणों के अनुसार, इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म की रक्षा की थी। यह दिन शक्ति उपासना का प्रतीक है और इसी वजह से इसे “दुर्गाष्टमी” भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पूरे श्रद्धा-भाव से व्रत और पूजन करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य फल और नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति मिलती है।
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व्रत एवं पूजन की विस्तृत विधि
1. स्नान व संकल्प: प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
2. घट स्थापना व कलश पूजन: घर में कलश स्थापित करें और गंगाजल से शुद्धिकरण करें।
3. मां महागौरी की आराधना: लाल या गुलाबी फूल, सिंदूर, अक्षत और चुनरी चढ़ाएं।
4. दुर्गा सप्तशती पाठ: कम से कम एक अध्याय अवश्य पढ़ें।
5. हवन: शाम को घी, हवन सामग्री और मंत्रोच्चार के साथ करें।
6. कन्या पूजन: नौ छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनके चरण धोकर भोजन व दक्षिणा दें।
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व्रत नियम और सावधानियां
दिनभर फलाहार या निर्जला व्रत रखें।
नकारात्मक विचार और क्रोध से दूर रहें।
सात्विक भोजन ही ग्रहण करें।
रात्रि में जागरण और भजन-कीर्तन करने का विशेष महत्व है।
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महाअष्टमी की कथा (संक्षेप)
देवी ने असुरों से तीनों लोकों को बचाने के लिए महाकाली का रूप धारण किया। महिषासुर नामक राक्षस को मारने के बाद देवी ने घोषणा की कि जो भी भक्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मेरी पूजा करेगा, उसे जीवन के सभी संकटों से मुक्ति मिलेगी।
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घर सजाने व सकारात्मक ऊर्जा के उपाय
घर के मुख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का तोरण बांधें।
संध्या के समय घी का दीपक चारों कोनों पर जलाएं।
परिवार संग देवी मंत्र “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का 108 बार जप करें।
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समाज में महाअष्टमी उत्सव
देश के विभिन्न राज्यों में इस दिन बड़े स्तर पर पंडाल सजते हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा का चरम इसी दिन देखा जाता है, जबकि उत्तर भारत में कन्या पूजन का आयोजन घर-घर में होता है। मंदिरों में भजन संध्या और देवी जागरण से वातावरण भक्तिमय हो जाता है।
समाज और सांस्कृतिक उत्सव
पश्चिम बंगाल: भव्य दुर्गा पंडालों में Sandhi Puja का विशेष आयोजन।
उत्तर भारत: घर-घर कन्या पूजन और जागरण।
दक्षिण भारत: अष्टमी पर सरस्वती पूजन व पुस्तकों की आराधना।
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स्वास्थ्य व आध्यात्मिक लाभ
उपवास से शरीर का डिटॉक्स होता है।
मंत्रोच्चार व ध्यान से मानसिक शांति मिलती है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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