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मोक्षदा एकादशी 2025: महत्व, कथा, पूजा विधि और लाभ

 मोक्षदा एकादशी 2025: महत्व, कथा, पूजा विधि और लाभ

Mokshada Ekadashi 2025 Puja Vidhi Katha aur Mahatva



मोक्षदा एकादशी क्या है?


हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। वर्ष में 24 एकादशियाँ आती हैं, जिनमें से मोक्षदा एकादशी सबसे पुण्यकारी मानी जाती है। यह व्रत मार्गशीर्ष माह (अग्रहायण) शुक्ल पक्ष की एकादशी को पड़ता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।




📅 मोक्षदा एकादशी 2025 तिथि और समय


तिथि आरंभ: 01 दिसम्बर 2025, प्रातः 07:15 बजे

तिथि समाप्त: 02 दिसम्बर 2025, प्रातः 05:45 बजे

पारण समय: 02 दिसम्बर 2025, प्रातः 06:50 से 09:10 बजे तक


(👉 समय पंचांग अनुसार बदल सकता है।)




✨ मोक्षदा एकादशी का महत्व


इस व्रत को करने से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होता है।

पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है।

व्रती को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति आती है।

यह व्रत विशेषकर पूर्वजों के उद्धार के लिए किया जाता है।





मोक्षदा एकादशी की पौराणिक कथा


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा – "हे माधव! कृपया बताइए कि मोक्षदा एकादशी का क्या महत्व है?"

तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि एक समय चंपकवन नामक राज्य में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। राजा धर्मप्रिय और प्रजा का पालन करने वाला था। एक दिन उसने स्वप्न में देखा कि उसके पिता नरक में कष्ट भोग रहे हैं।

राजा ने दुखी होकर ब्राह्मणों और मुनियों से उपाय पूछा। तब मुनियों ने कहा कि मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करें। राजा ने पूरे विधि-विधान से व्रत किया, जिससे उसके पितर को मोक्ष मिला और वे स्वर्गलोक चले गए।

इसी कारण इसे "मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी" कहा जाता है।





मोक्षदा एकादशी पूजा विधि


1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ पीले या सफेद वस्त्र धारण करें।


2. घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा/फोटो को स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें।


3. दीपक, धूप, फूल, तुलसीदल, फल एवं पंचामृत से पूजन करें।


4. विष्णु सहस्रनाम या गीता पाठ करें।


5. दिनभर फलाहार करें और संध्या समय भी आरती करें।


6. अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।





🌿 मोक्षदा एकादशी व्रत के नियम


इस दिन अनाज और मांसाहार का सेवन वर्जित है।

केवल फल, दूध और सात्विक भोजन करें।

पूरे दिन भगवान विष्णु का स्मरण करें।

क्रोध, झूठ, अपशब्द और हिंसा से बचें।

दान-पुण्य और सेवा कार्य करें।




 मोक्षदा एकादशी व्रत के लाभ


पापों से मुक्ति

पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष

घर-परिवार में सुख-शांति

जीवन में समृद्धि और सौभाग्य

परम धाम की प्राप्ति




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