ॐ का हमारे जीवन में महत्व
ॐ (Om) का अर्थ और उद्गम
“ॐ” (Om) केवल एक ध्वनि नहीं, बल्कि यह सृष्टि की पहली कम्पन (cosmic vibration) है।
प्राचीन वैदिक ग्रंथों में कहा गया है कि जब कुछ भी अस्तित्व में नहीं था, तब सिर्फ एक नाद था — वह नाद था “ॐ”।
यह ध्वनि ब्रह्मांड की सृजन, पालन और संहार तीनों शक्तियों का प्रतिनिधित्व करती है।
“A” से सृष्टि (Brahma),
“U” से पालन (Vishnu),
और “M” से संहार (Mahesh/Shiva) का प्रतीक माना जाता है।
इस प्रकार, Om सम्पूर्ण अस्तित्व का सार है — यह हमें याद दिलाता है कि हम सब उसी एक दिव्य ऊर्जा के अंश हैं।
वेदों और उपनिषदों में ॐ का उल्लेख
वेदों में कहा गया है —
> “ॐ इत्येतदक्षरं इदं सर्वं” — अर्थात यह सम्पूर्ण जगत ॐ में ही समाहित है।
माण्डूक्य उपनिषद्, जो केवल ॐ पर आधारित है, बताती है कि यह ध्वनि जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरिय — चार अवस्थाओं का प्रतीक है।
ॐ के उच्चारण से हम इन चारों अवस्थाओं के पार जाकर परम चेतना (Supreme Consciousness) से जुड़ते हैं।
Om jap karne ka mahatva (Om के जप का महत्व)
ॐ का जाप केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक विज्ञान है।
जब हम Om का उच्चारण करते हैं, तो हमारे शरीर में एक कंपन तरंग (vibrational frequency) उत्पन्न होती है, जो मस्तिष्क और हृदय को शांति प्रदान करती है।
Om jap ke labh (लाभ):
1. मन की शांति:
Om chanting मन के विचारों को शांत करता है, जिससे तनाव कम होता है।
2. सकारात्मक ऊर्जा:
यह शरीर में ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करता है।
3. आंतरिक जागरूकता:
नियमित जाप से आत्मचेतना का विकास होता है।
4. ध्यान में गहराई:
Om ध्यान को स्थिरता प्रदान करता है और मन को वर्तमान क्षण में टिकाता है।
5. नींद में सुधार:
रात में Om jap करने से नींद गहरी और सुखद होती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ॐ का प्रभाव
आधुनिक विज्ञान ने भी माना है कि Om chanting का प्रभाव मस्तिष्क की तरंगों (brain waves) पर पड़ता है।
जब कोई व्यक्ति Om का उच्चारण करता है, तो उसके दिमाग में अल्फा वेव्स बनती हैं, जो गहरे ध्यान (deep relaxation) की अवस्था से जुड़ी हैं।
AIIMS और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के शोध बताते हैं कि Om chanting करने वालों में तनाव हार्मोन (Cortisol) का स्तर कम होता है और सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है — जिससे व्यक्ति खुश और शांत महसूस करता है।
ॐ का धार्मिक और आध्यात्मिक पक्ष
हिन्दू धर्म में हर मंत्र की शुरुआत Om से होती है।
बौद्ध और जैन धर्म में भी Om को “प्रणव” कहा गया है और इसे ध्यान की ध्वनि माना गया है।
गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है —
> “मैं Om हूँ जो वेदों में विद्यमान है।”
Om का उच्चारण करने से व्यक्ति का अहंकार घटता है और आत्मा की पवित्रता बढ़ती है।
Om jap karne ka sahi tarika (सही तरीका)
1. शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठे।
2. रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।
3. आंखें बंद करके गहरी सांस लें।
4. सांस छोड़ते समय धीरे-धीरे “A-U-M” उच्चारण करें।
5. Om की ध्वनि को मन में गूंजने दें।
6. रोज़ कम से कम 5-10 मिनट इसका अभ्यास करें।
👉 प्रारंभ में 11 बार जाप करें, फिर धीरे-धीरे संख्या बढ़ाएँ।
योग और ध्यान में ॐ का महत्व
योग में Om का उच्चारण शरीर को energy alignment देता है।
प्राणायाम, ध्यान और मंत्र योग में इसका प्रयोग मस्तिष्क की तरंगों को स्थिर करता है।
Om chanting से सातों चक्र (chakras) सक्रिय होते हैं, विशेषकर आज्ञा (third eye) और सहस्रार (crown chakra)।
Om ke roop aur pratik
Om का प्रतीक चिन्ह “ॐ” तीन वक्रों, एक अर्धवृत्त और एक बिंदु से मिलकर बना है।
नीचे का वक्र जाग्रत अवस्था का प्रतीक है।
बीच का वक्र स्वप्न अवस्था को दर्शाता है।
ऊपर का वक्र सुषुप्ति (गहरी नींद) का संकेत है।
बिंदु तुरीय (अवचेतन या परम चेतना) का प्रतीक है।
अर्धवृत्त माया (भ्रम) को दर्शाता है, जो आत्मा और परमात्मा के बीच की सीमा है।
आज के युग में ॐ का महत्व
आज की तेज़-रफ़्तार ज़िंदगी में जहाँ तनाव, चिंता और असंतुलन आम बात है, Om jap एक प्राकृतिक औषधि (natural remedy) की तरह कार्य करता है।
यह हमें हमारे आंतरिक शांति के स्रोत से जोड़ता है।
रोज़ केवल 10 मिनट Om chanting से व्यक्ति का दृष्टिकोण बदल सकता है।
निष्कर्ष
ॐ (Om) हमारे जीवन का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक संगम है।
यह वह ध्वनि है जो हमें भीतर से जोड़ती है, मन को स्थिर करती है और आत्मा को प्रकाशित करती है।
जो व्यक्ति नियमित रूप से Om jap करता है, वह न केवल तनावमुक्त रहता है बल्कि उसके अंदर से शांति, प्रेम और प्रकाश प्रकट होता है।
“ॐ” एक शब्द नहीं, यह जीवन का संगीत है — जो हर हृदय में गूंजता है।



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