Mathura Vrindavan Mein Ghumne Ki Jagah Kaun Kaun Si Hai -मथुरा वृन्दावन में घूमने की कौन कौन सी जगह हैं
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वैसे तो मथुरा वृन्दावन में कई स्थान है जहाँ आप जा सकते हैं पर आज हमको कुछ प्रमुख स्थान बताएँगे की मथुरा में यदि आप जाएं तो प्रमुख कौन सी जगह जरूर जाएँ | मथुरा में घूमने का सबसे सही जो टाइम है वो फरबरी मार्च अक्टूबर , नवंबर और दिसंबर है। मथुरा में देश और विदेश से पर्यटक आते हैं ,मथुरा में बहुत सारी ऐसी जगह हैं जिन्हें जरूर देखना चाहिए। पास की जगहों को आप दिन में किसी भी वक्त घूम सकते हैं। मथुरा में आपको काम से काम दो या तीन दिन रुकना होगा।
आईये आपको बताते है की वो कौन कौन सी जगह हैं |
मथुरा
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श्री कृष्ण जन्मस्थान
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai Shri Krishn Janmasthan | श्री कृष्ण जन्मस्थान मथुरा का एक प्रमुख धार्मिक स्थान है। इस जगह को भगवान कृष्ण का जन्म स्थान माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मस्थान को पुरे विश्व में जाना जाता है । आज ये वर्तमान में महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जी की प्रेरणा से यह एक भव्य आकर्षण मन्दिर के रूप में स्थापित है। पर्यटन की दृष्टि से विदेशों से भी भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के लिए यहां प्रतिदिन आते हैं।
दर्शन का समय :
गर्मी | सुबह 5:00 am to 12:00 pm और 4:00 pm to 9:30 pm |
सर्दी | 5:30 am to 12:00 pm और 3:00 pm to 8:30 pm |
मंगला आरती | 5:30 am |
माखन भोग | 8:00 am |
संध्या आरती | 6:00 pm |
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विश्राम घाटः
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai shri Vishram Ghat | विश्राम घाट द्वारिकाधीश मंदिर से 30 मीटर की दूरी पर, नया बाजार में स्थित है। यह मथुरा के 25 घाटों में से एक प्रमुख घाट है। विश्राम घाट के उत्तर में 12 और दक्षिण में 12 घाट हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां अनेक संतों ने तपस्या की एवं इसे अपना विश्राम स्थल भी बनाया। विश्राम घाट पर श्री यमुना महारानी का अति सुंदर मंदिर स्थित है। यमुना महारानी जी की आरती विश्राम घाट से ही की जाती है। विश्राम घाट पर संध्या का समय और भी आध्यात्मिक होता है। यहाँ जो भी आता है वो एक बार "यमुना मैया की जय " जरुरु बोलता है
Aarti | Timings |
गर्मी | 04:45 am & 7:30 pm |
सर्दी | 5:15 am & 7 :00 pm |
द्वारकाधीश मंदिरः
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai Dwarika sheesh Temple | मथुरा के मंदिरों में द्वारकाधीश मंदिर की विशेष महत्ता है। यहां की आरती विशेष रूप से देखने वाली होती है। मंदिर में भगवन कृष्ण की सुंदर मूर्ति विराजमान है। यहां मुख्य आश्रम में भगवान कृष्ण और उनकी प्रिय राधिका रानी की प्रतिमाएं हैं। इस मंदिर में और भी दूसरे देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं। मंदिर के अंदर बेहतरीनकला और चित्रकारी का अद्भुत नमूना है। ।
गर्मी
सुबह | शाम |
मगला 6:30 am to 7:00 am | उठापन 4:00 pm to 4:20 pm |
श्रृंगार 7:40 am to 7:55 am | भोग 4:45 am to 5:05 pm |
ग्वाल 8:25 am to 8:45 am | आरती 5:20 pm to 5:40 pm |
राजभोग 10:00 am to 10:30 am | सयन 6:30 pm to 7:00 pm |
सर्दी | |
सुबह | शाम |
मंगला 6:30 am to 7:00 am | उथ्थापन 3:30 pm to 3:50 pm |
श्रृंगार 7:40 am to 7:55 am | भोग 4:20 pm to 4:40 pm |
ग्वाल 8:25 am to 8:40 am | आरती 6:00 pm |
Rajbhog 10:00 am to 10:30 am |
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कंस किलाः
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai Kans Kila | यमुना के किनारे पर स्थित कंस का किला आज उजाड़ होकर खंडहर में तब्दील हो चुका है। इस किले का नया निर्माण 16वीं सदी में राजा मानसिंह ने कराया था। इसके बाद महाराजा सवाई जय सिंह ने ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन करने के लिए एक वेधशाला का निर्माण भी कराया। यह किला बड़े क्षेत्र में फैला है और इसकी दीवारें काफी ऊंची हैं। यह आकृति द्वारा हिंदू धर्म और इस्लामिक वास्तुकला की बनावट का नमूना पेश करता है। ऐसा बताया जाता है कि यह किला कई हाथों से होकर गुजरा है। अंबर के राजा मान सिंह ने 16वीं शताब्दी में इसको वापस नया बनवा दिया था जबकि जयपुर के महाराजा सवाई जय सिंह ने वहां पर एक वेधशाला बनवाई। हालांकि, आज वहां वेधशाला का कोई नामोनिशान भी नहीं है।
वृन्दावन
बांके बिहारी मंदिर
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai Banke Bihari Temple | भगवान विष्णु के आठवें मानव रूपी अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित बांके बिहारी मंदिर की मथुरा में बेहद मान्यता है। केवल मथुरा ही क्यों, इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का पावन आशीर्वाद पाने के लिए दूर-दूर से और यहां तक कि विदेश से भी भक्त आते हैं। उनके नटखट अंदाज़ ने ही उन्हें श्री बांके बिहारी का नाम दिया है। दरअसल ‘बांके’ शब्द का अर्थ होता है तीन जगह से मुड़ा हुआ और बिहारी का अर्थ होता है- श्रेष्ठ उपभोक्ता। आम भाषा में बिहारी शब्द का संबंध उससे किया जा सकता है जो जीवन का श्रेष्ठतम आनंद जानता हो।मथुरा स्थित बांके बिहारी मंदिर को आदरणीय स्वामी हरिदास जी द्वारा स्थापित किया गया था। यदि आप इस बात से अनजान हैं तो आपको बता दें कि स्वामी हरिदास जी प्राचीन काल के मशहूर गायक तानसेन के गुरु थे। इसलिए उन्होंने स्वयं श्रीकृष्न पर निधिवन में ऐसे कई गीत गाए जो आज भी बेहद प्रसिद्ध हैं।
आरती
गर्मी | सर्दी | |
सुबह दर्शन समय | 07:45 am to 12:00 pm | 08:45 am to 1:00 pm |
श्रृंगार आरती | 08:00 am | 09:00 am |
राजभोग | 11:00 am to 11:30 am | 12:00 pm to 12:30 pm |
राजभोग और बंद | 12:00 pm | 01:00 pm |
शाम दर्शन समय | 05:30 pm to 09:30 pm | 04:30 pm to 08:30 pm |
सयन भोग | 08:30 pm to 9:00 pm | 07:30 pm to 8:00 pm |
शयन आरती | 09:30 pm | 08:30 pm |
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निधिवनः
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai Nidhi van | दुनिया में आज भी कई ऐसे रहस्य हैं जहां आकर विज्ञान की सीमाएं खत्म हो जाती हैं। ऐसा ही एक रहस्य है वृंदावन का निधिवन। ऐसी मान्यता है कि इस अलौकिक वन में आधी रात को भगवान कृष्ण, राधा और गोपियां रास-लीला रचाते हैं। इस प्रेम लीला को जो भी मनुष्य देख लेता है वो अपनी नेत्रज्योति खो बैठता है या दिमागी संतुलन गंवा देता है। निधिवन में तुलसी के पेड़ हैं। हर पौधा जोड़े में है। ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण और राधा की रासलीला के दौरान तुलसी के पौधे गोपियों का रूप ले लेते हैं। प्रातः होने पर ये गोपियां पुनः तुलसी का रूप ले लेती हैं..
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प्रेम मंदिरः
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai shri Prem Temple | प्रेम मंदिर वृंदावन में स्थित है। इसका निर्माण जगद्गुरु कृपालु महाराज द्वारा भगवान कृष्ण और राधा के मंदिर के रूप में करवाया गया है। इस मंदिर में अगर आप संध्या में आते हैं तो आपको यहां किसी सपने जैसे दृश्य दिखाई देगा। लेजर लाइट से गीतों के जरिए दिखाई जाने वाली आकृति, रंग बिरंगी रोशनी से सजी मंदिर की दीवारें और यहां की अद्भुत संरचना आपका मन मोह लेगी। प्रेम मन्दिर का लोकार्पण 17 फरवरी को किया गया था। इस मन्दिर के निर्माण में 11 वर्ष का समय और लगभग 100 करोड़ रुपए की धन राशि लगी है। इसमें इटैलियन करारा संगमरमर का प्रयोग किया गया है और इसे राजस्थान और उत्तरप्रदेश के एक हजार शिल्पकारों ने तैयार किया है।
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इस्कॉन मंदिरः
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai Isko Temple | प्रेम मंदिर से कुछ ही दूरी पर इस्कॉन मंदिर स्थित है। यह दूसरी कुछ मीटर की ही होगी। इस्कॉन मंदिर के प्रांगण में कदम रखते ही आपको एक शांति का अनुभव होगा। आप प्रेम मंदिर की तरह यहां भी काफी देर तक बैठकर मंत्रमुग्ध हो सकते हैं। यहां हरे रामा हरे कृष्णा का उच्चारण आपको भाव विभोर कर देगा। दिलचस्प बात ये है कि यहां विदेशी सैलानियों की अच्छी खासी मौजूदगी रहती है। आप यहां उन्हें भक्ति गीतों को गाते देख सकते हैं। कई विदेशी सैलानी भक्ति रस में डूबकर नृत्य करते हैं, आप उन्हें देख खुद को रोक नहीं पाएंगे।
गर्मी
सुबह दर्शन 4:30 am to 12:45 pm सर्दीदर्शन 4:30 am to 4:30 am to 1:00 pmआरती | शाम दर्शन 4:30 pm to 8:00 pm सर्दीदर्शन 4 am to 8:15 pm आरती |
मगला 5 a.m | धुप 4:30 pm |
तुलसी 5:30 am | संध्या 6:30 pm |
श्रृंगार 8:30 am | |
राजभोग 12:00 pm | सयन 8:00 pm |
सर्दी | |
सुबह | शाम |
मंगला 6:30 am to 7:00 am | उथ्थापन 3:30 pm to 3:50 pm |
श्रृंगार 7:40 am to 7:55 am | भोग 4:20 pm to 4:40 pm |
ग्वाल 8:25 am to 8:40 am | आरती 6:00 pm |
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Govardhan-Parikrama-Parvat-Mathura |
गोवर्धन
Mathura vrindavan mein ghumne ke jagha mein aata hai Goverdhan Parvat | गोवर्धन पर्वत की कहानी आपने धारवाहिकों में देखी या किताबों में जरूर पढ़ी होगी। गोवर्धन व इसके आसपास के क्षेत्र को ब्रज भूमि भी कहा जाता है। द्वापर युग में यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र के वर्षा प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी तर्जनी अंगुली पर उठा लिया था। गोवर्धन पर्वत को गिरिराज जी भी कहते हैं। आज भी दूर दूर से श्रद्धालु इस पर्वत की परिक्रमा करने आते हैं। यह 7 कोस की लंबी परिक्रमा लगभग 21 किलोमीटर की है। भक्त इसे वाहनों की मदद से भी पूरा करते हैं। इस मार्ग में कई अन्य धार्मिक स्थन पड़ते हैं। इनमें आन्यौर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविन्द कुंड, पूंछरी का लोटा, दानघाटी इत्यादि हैं। परिक्रमा जहां से शुरु होती है वहीं एक प्रसिद्ध मंदिर भी है जिसे दानघाटी मंदिर कहा जाता है।
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