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श्री बगलामुखी कवच पाठ का - Shri Baglamukhi Kavach lyrics

 

श्री बगलामुखी कवच का पाठ  

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श्री बगलामुखी कवच

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श्री बगलामुखी कवच का पाठ   

Shri Baglamukhi Kavach lyrics 


॥ अथ बगलामुखी कवचं प्रारभ्यते ॥



श्रुत्वा च बगला पूजां  स्तोत्रं  चापि महेश्वर।


इदानीं  श्रोतुमिच्छामि  कवचं  वद मे प्रभो।


वैरिनाशकरं   दिव्यं  सर्वाऽशुभ विनाशकम्।


शुभदं स्मरणात्पुण्यं त्राहि मां दु:ख-नाशनम्॥


॥ श्री भैरव उवाच ॥


कवच श्रृणु  वक्ष्यामि  भैरवि।  प्राणवल्लभम्।


पठित्वा-धारयित्वा तु  त्रैलोक्ये विजयी भवेत्॥



 विनियोग करें : 



ॐ अस्य श्री बगलामुखीकवचस्य नारद ऋषि: अनुष्टुप्छन्द: श्रीबगलामुखी देवता।


ह्लीं बीजम्। ऐं कीलकम्।


पुरुषार्थचतुष्टयसिद्धये जपे विनियोग:॥


॥ अथ कवचम् ॥


शिरो मे बागला पातु ह्रदयैकक्षरी परा।

ॐ ह्रीं ॐ मे ललाटे च बगला वैरिनाशिनी॥


गदाहस्ता सदा पातु मुखं मे मोक्षदायिनी।

वैरि जिह्राधरा पातु कण्ठं मे बगलामुखी॥


उदरं नाभिदेंश च पातु नित्यं परात्परा।


परात्परतरा पातु मम गुह्रं सुरेश्वरी


हस्तौ चैव तथा पादौ पार्वती परिपातु मे।

विवादे विषमे घोरे संग्रामे रिपुसंकटे॥


पीताम्बरधरा पातु सर्वांगं शिवंनर्तकी।

श्रीविद्या समयं पातु मातंगी पूरिता शिवा॥


पातु पुत्रीं सूतञचैव कलत्रं कलिका मम।

पातु नित्यं भ्रातरं मे पितरं शूलिनी सदा॥


रंध्रं हि बगलादेव्या: कवचं सन्मुखोदितम्।

न वै देयममुख्याय सर्वसिद्धि प्रदायकम्॥



पठनाद्धारणादस्य पूजनादवांछितं लभेत्।

इंद कवचमज्ञात्वा यो जपेद् बगलामुखीय॥


पिबन्ति शोणितं तस्य योगिन्य: प्राप्य सादरा:।

वश्ये चाकर्षणे चैव मारणे मोहने तथा॥


महाभये विपतौ च पठेद्वरा पाठयेतु य:।

तस्य सर्वार्थसिद्धि:। स्याद् भक्तियुक्तस्य पार्वति॥


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