W3.CSS
Bhakti Ras Pravah-भक्ति रस प्रवाह

श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र के पाठ का हिंदी में अर्थ एवं फायदे - Shri Ganesh Panchratn Stotr lyrics with meaning & Benifits in hindi

 

श्री गणेश पंचरत्न  स्तोत्र के पाठ का हिंदी में अर्थ एवं फायदे 

श्री गणेश  स्तोत्र   के  पाठ का हिंदी में अर्थ  एवं फायदे -Shri Ganesh Stotr lyrics with meaning & Benifits in hindi ,Shri Ganesh Stotr ka paath kese karein , Shri Ganesh Stotr ke paath ke faayde, Shri Ganesh Sotr ke paath karne ka sahi samay kya hai , Ganesh Stotr Japne karne ke faayde
श्री गणेश  स्तोत्र

Play Shri Ganesh Panchratn  Stotr  Paath
श्री गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ सुनें 
                                                    


⬆ Play Ganesh Stotr Mantra ⬆

श्री गणेश स्तोत्र के  पाठ का  हिंदी में अर्थ -

Shri Ganesh Stotr lyrics with meaning in hindi.

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्

कलाधरावतंसकं विलासलोक रक्षकम्।

अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम्

नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम्॥ ॥1॥

अर्थ: मैं श्री गणेश भगवान को बहुत ही विनम्रता के साथ अपने हाथों से मोदक प्रदान (समर्पित) करता हूं, जो मुक्ति के दाता- प्रदाता हैं। जिनके सिर पर चंद्रमा एक मुकुट के समान विराजमान है, जो राजाधिराज हैं और जिन्होंने गजासुर नामक दानव हाथी का वध किया था, जो सभी के पापों का आसानी से विनाश कर देते हैं, ऐसे गणेश भगवान जी की मैं पूजा करता हूं।।

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम्

नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्धरम्।

सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं

महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्॥ ॥2॥

अर्थ: मैं उस गणेश भगवान पर सदा अपना मन और ध्यान अर्पित करता हूं जो हमेशा उषा काल की तरह चमकते रहते हैं, जिनका सभी राक्षस और देवता सम्मान करते हैं, जो भगवानों में सबसे सर्वोत्तम हैं।


सभी प्रकार की धार्मिक वस्तुएं उचित मूल्य पर खरीदें 


समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्यकुंजरं

दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम्।

कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं

मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम्॥3॥

अर्थ:मैं अपने मन को उस चमकते हुए गणपति भगवान के समक्ष झुकाता हूं, जो पूरे संसार की खुशियों के दाता हैं, जिन्होंने दानव गजासुर का वध किया था, जिनका बड़ा सा पेट और हाथी की तरह सुन्दर चेहरा है, जो अविनाशी हैं, जो खुशियां और प्रसिद्धि प्रदान करते हैं और बुद्धि के दाता – प्रदाता हैं।

अकिंचनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनं

पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम्।

प्रपंच नाश भीषणं धनंजयादि भूषणं

कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम्॥4॥

अर्थ:मैं उस भगवान की पूजा-अर्चना करता हूं जो गरीबों के सभी दुख दूर करते हैं, जो ॐ का निवास हैं, जो शिव भगवान के पहले पुत्र (बेटे) हैं, जो परमपिता परमेश्वर के शत्रुओं का विनाश करने वाले हैं, जो विनाश के समान भयंकर हैं, जो एक गज के समान दुष्ट और धनंजय हैं और सर्प को अपने आभूषण के रूप में धारण करते हैं।

नितान्त कान्त दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजं

अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम्।

हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां

तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम्॥5॥

अर्थ:मै सदा उस भगवान को प्रतिबिंबित करता हूं जिनके चमकदार दन्त (दांत) हैं, जिनके दन्त बहुत सुन्दर हैं, स्वरूप अमर और अविनाशी हैं, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं और हमेशा योगियों के दिलों में वास करते हैं।

महागणे शपंचरत्नमादरेण योऽन्वहं

प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्।

अरोगतां अदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां

समीहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात्॥6॥

अर्थ:जो भी भक्त प्रातःकाल में गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करता है, जो भगवान गणेश के पांच रत्न अपने शुद्ध हृदय में याद करता है तुरंत ही उसका शरीर दाग-धब्बों और दुखों से मुक्त होकर स्वस्थ हो जायगा, वह शिक्षा के शिखर को प्राप्त करेगा, जीवन शांति, सुख के साथ आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि के साथ सम्पन्न हो जायेगा।


ये  भी सुनें  :







Post a Comment

0 Comments