शिव मानस पूजा स्तोत्र पाठ अर्थ सहित
शिव मानस पूजा स्तोत्र पाठ |
Play Shiv Manas Puja Stotra Paath
श्री शिव मानस पूजा स्तोत्र पाठ का हिंदी में अर्थ
-Shiv Manas Puja Stotra Paath with Meaning in hindi
रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं।
नाना रत्न विभूषितम् मृग मदामोदांकितम् चंदनम॥
जाती चम्पक बिल्वपत्र रचितं पुष्पं च धूपं तथा।
दीपं देव दयानिधे पशुपते हृत्कल्पितम् गृह्यताम्॥१॥
अर्थ — हे पशुपति देव, हे करूणा के सागर (श्री शिव को पशुपति अर्थात समस्त प्राणियों के देव कहते हैं) मेरी यह मानसिक (मन से) आराधना स्वीकार करें। रत्नों से जड़ित सिंहासन पर आप विराजमान हो जाइए। मैं हिमालय से लाए गए जल से आपको स्नान करवा रहा हूं और आप पवित्र/दिव्य वस्त्रों को धारण कीजिये। आपको कस्तूरी से मिश्रित चन्दन से तिलक लगा रहा हूं। जूही, चंपा, बिल्वपत्र आदि पुष्प भी आपको समर्पित करता हूं। धूप और दीपक भी अर्पित करता हूं जो मेरे हृदय से निर्मित हैं। हे शिव, दयानिधे आप मेरी सामग्री को ग्रहण कीजिये।
सौवर्णे नवरत्न खंडरचिते पात्र धृतं पायसं।
भक्ष्मं पंचविधं पयोदधि युतं रम्भाफलं पानकम्॥
शाका नाम युतं जलं रुचिकरं कर्पूर खंडौज्ज्वलं।
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु॥२॥
अर्थ— हे पशुपति नाथ (भगवान शिव) मेरी आधना को स्वीकार कीजिये। मैं आपको घी, खीर को नौ रत्न जड़ित स्वर्ण पात्र में अर्पित करता हूं। मैं आपको पांच प्रकार के व्यंजन के साथ विशेष तरह से तैयार दूध, दही और रम्भाफलं से निर्मित व्यंजन अर्पित करता हूं। इसके साथ ही पीने के लिए विभिन्न फलों कदलीफल (केला), शर्बत, शाक, कपूर से सुवासित और स्वच्छ किया हुआ मीठा (शीतल) जल अर्पित करता हूं। इसके साथ ही मैं ताम्बूल पत्र भी अर्पित करता हूं। हे प्रभु इन्हें स्वीकार करो।
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