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श्री दरिद्रता नाशक स्तोत्रम पाठ -Shri Daridrta Nashak Stotram Paath

             श्री दरिद्रता नाशक स्तोत्रम पाठ 

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 श्री दरिद्रता नाशक स्तोत्रम पाठ

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 श्री दरिद्रता नाशक स्तोत्रम  पाठ 

जय देव जगन्नाथ, जय शंकर शाश्वत। जय सर्व-सुराध्यक्ष, जय सर्व-सुरार्चित।।

जय सर्व-गुणातीत, जय सर्व-वर-प्रद। जय नित्य-निराधार, जय विश्वम्भराव्यय।।

जय विश्वैक-वेद्येश, जय नागेन्द्र-भूषण। जय गौरी-पते शम्भो, जय चन्द्रार्ध-शेखर।।

जय कोट्यर्क-संकाश, जयानन्त-गुणाश्रय। जय रुद्र-विरुपाक्ष, जय चिन्त्य-निरञ्जन।।

जय नाथ कृपा-सिन्धो, जय भक्तार्त्ति-भञ्जन। जय दुस्तर-संसार-सागरोत्तारण-प्रभो।।

प्रसीद मे महा-भाग, संसारार्त्तस्य खिद्यतः। सर्व-पाप-भयं हृत्वा, रक्ष मां परमेश्वर।।

महा-दारिद्रय-मग्नस्य, महा-पाप-हृतस्य च। महा-शोक-विनष्टस्य, महा-रोगातुरस्य च।।

ऋणभार-परीत्तस्य, दह्यमानस्य कर्मभिः। ग्रहैः प्रपीड्यमानस्य, प्रसीद मम शंकर।।

फलश्रुति
दारिद्रयः प्रार्थयेदेवं, पूजान्ते गिरिजा-पतिम्। अर्थाढ्यो वापि राजा वा, प्रार्थयेद् देवमीश्वरम्।।

दीर्घमायुः सदाऽऽरोग्यं, कोष-वृद्धिर्बलोन्नतिः। ममास्तु नित्यमानन्दः, प्रसादात् तव शंकर।।

शत्रवः संक्षयं यान्तु, प्रसीदन्तु मम गुहाः। नश्यन्तु दस्यवः राष्ट्रे, जनाः सन्तुं निरापदाः।।

दुर्भिक्षमरि-सन्तापाः, शमं यान्तु मही-तले। सर्व-शस्य समृद्धिनां, भूयात् सुख-मया दिशः।।







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