ज्वर शांति स्तोत्र पाठ एवं फायदे
JwarShanti Stotra |
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श्री ज्वर शांति स्तोत्र का पाठ -
Shri JwarShanti Stotr lyrics
ब्राह्मि ब्रह्म-स्वरूपे त्वं, मां प्रसीद सनातनि !
परमात्म-स्वरूपे च, परमानन्द-रूपिणि ।।
ॐ प्रकृत्यै नमो भद्रे, मां प्रसीद भवार्णवे।
सर्व-मंगल-रूपे च, प्रसीद सर्व-मंगले ।।
विजये शिवदे देवि ! मां प्रसीद जय-प्रदे।
वेद-वेदांग-रूपे च, वेद-मातः ! प्रसीद मे।।
शोकघ्ने ज्ञान-रूपे च, प्रसीद भक्त वत्सले।
सर्व-सम्पत्-प्रदे माये, प्रसीद जगदम्बिके।।
लक्ष्मीर्नारायण-क्रोडे, स्त्रष्टुर्वक्षसि भारती।
मम क्रोडे महा-माया, विष्णु-माये प्रसीद मे।।
काल-रूपे कार्य-रूपे, प्रसीद दीन-वत्सले।
कृष्णस्य राधिके भदे्र, प्रसीद कृष्ण पूजिते।।
समस्त-कामिनीरूपे, कलांशेन प्रसीद मे।
सर्व-सम्पत्-स्वरूपे त्वं, प्रसीद सम्पदां प्रदे।।
यशस्विभिः पूजिते त्वं, प्रसीद यशसां निधेः।
चराचर-स्वरूपे च, प्रसीद मम मा चिरम्।।
मम योग-प्रदे देवि ! प्रसीद सिद्ध-योगिनि।
सर्वसिद्धिस्वरूपे च, प्रसीद सिद्धिदायिनि।।
अधुना रक्ष मामीशे, प्रदग्धं विरहाग्निना।
स्वात्म-दर्शन-पुण्येन, क्रीणीहि परमेश्वरि ।।
एतत् पठेच्छृणुयाच्चन, वियोग-ज्वरो भवेत्
न भवेत् कामिनीभेदस्तस्य जन्मनि जन्मनि।।
ज्वार विनाशक स्तोत्रम् सम्पूर्णम्।।
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