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Mahalakshmi Temple Velvan at Vrindavan


साक्षात लक्ष्मी जी की प्राप्ति होती है इस जगह के दर्शन करने से

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लक्ष्मी माता मंदिर वेलवन मथुरा 

 

सभी को  राधे राधे , भगवान श्री कृष्ण और राधा  जी के प्रसंगों से सम्बंधित  जितने भी स्थान  या मंदिर हैं ब्रज में, उनके दर्शन तो आपने किये ही  होंगे लेकिन आज मैं आपको ऐसे स्थान  पर लेके जा रहा हूं जहां सम्बन्ध  श्री माता लक्षमी जी और भगवान कृष्ण का है। 

यह स्थान  है बेलवन, जब आप वृन्दावन  से यमुना  पार करके माट की तरफ जाएंगे तब यह स्थान  आता है पर इस स्थान  के  बारे में बता दूँँ, यह करीब 5000 वर्ष पुराण  प्राचीन स्थान  है और इतना अलौकिक स्थान  है, जब आप इसके दर्शन करेंगे तो आपको बहुत ही आनंद आएगा। 

इस मंदिर की वीडियो हमने नीचे दी है उससे प्ले करके आप मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। 

 यह मंदिर वृंदावन  से जब आप यमुना  पार की तरफ  जाएंगे और मांट  की तरफ  जाएंगे तो वहाँ पर एक स्थान  है बेलवन और वहीं पर यह मंदिर स्तिथ  है, और प्राचीन काल में यहाँ पर बेल के बहुत बड़े बड़े जंगल हुआ करते थे इसके कारण इस जगह का नाम बेलवन रखा गया और प्राचीन मान्यता  के अनुसार यहाँ पर भगवान श्री कृष्ण बलराम के साथ अपनी गाय को चराने आया करते थे उनी जंगलों के बीच यहाँ मंदिर है और यहाँ वही दिव्वे स्थान है और प्राचीन स्थान है जहाँ पर मा देवी लक्ष्मी भगवान श्री कृष्ण से रूठ कर यहाँ पर आयी थी। 

 पौराणिक  कथाओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने जब बृन्दावन में महारास किया था गोपियों के साथ म, तो देवी मा लक्ष्मी ने भी उस महारास में आने की इच्छा  प्रगट की और वो सीधे महारास में पहुंच गई लेकिन उनको महारास के बाहर ही रोक  दिया गया क्योंकि महारास में केवल जो गाँव  की गोपियां थी उनको अनुमती थी देवी मा इस चीज से नराज होकर और बृन्दावन की तरब मुंह करके इस स्थान  पर बैठ गयीं  और तपस्या करने लगी , जब भगवान श्री कृष्ण महारास करके थके  हुए व्याकुल होके जब इस स्थान पर पहुंचे तो उनको भूक  लगी उनोंने देवी मा से बोला कि मा मुझे कुछ खाने के लिए दीजिये  तो  देवी मा ने अपनी साडी का एक हिस्सा फाडा उसमें अगनी जलाई और उस अगनी में खिचडी पकाई और भगवान श्री कृष्ण को दी , इससे भगवन श्री कृष्ण बहुत ही प्रसन्न हुसे , तो भगवन की प्रसन्नता को देखकर देवी माँ ने ब्रज में रहने की अनुमति मांगी ,भगवन  ने देवी मा को यहाँ रहने के अनुमती देदी।

 शास्त्रों के अनुसार ये है लीला जो हुई वो पौश माह  में हुई थी तो इसलिए पौश मा में हर गुरुवार को यहाँ खिचडी का आयोजन किया जाता है , इस मेले में भगत दूर दूर से आते हैं और अपने साथ खिचडी बनाने की सामग्री  लेकर आते हैं वह यहाँ चूला बनाते हैं और बैठ कर उसमें खिचडी पकाते हैं इसके बाद भी इस खिचडी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। 

यह इतना सुन्दर स्थान है यहाँ का माहौल में  इतनी शांती है आप आएंगे तो आपको एक अलगी तरंगों  की  अनूभूती होगी , जब भी आप वृन्दावन  आए तो बेलवन नामक जगह  को  आप अपने दिमाग में रखे  कि वहाँ के आपको दर्शन करने है। 


 माता लक्ष्मी के वेलवन स्तिथ मंदिर के दर्शन करें 





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