देव शयनी एकादशी की पूरी कथा और व्रत विधि – जानिए कैसे पाएं सुख-शांति
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| देव शयनी एकादशी के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा |
देव शयनी एकादशी क्या है?
देव शयनी एकादशी ज्येष्ठ मास की एकादशी होती है, जिसे भगवान विष्णु के विश्राम दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।
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देव शयनी एकादशी व्रत कथा
प्राचीन काल में एक बार सत्यव्रत नामक एक राजा था। वह धर्म का पालन करने वाला और अपने प्रजा के लिए समर्पित शासक था। उसके राज्य में अत्यंत सुख-शांति थी। परन्तु समय के साथ राजा के राज्य में संकट के बादल छा गए। लगातार बारिश न होने के कारण सूखा पड़ा और फसलें नष्ट होने लगीं।
राजा ने अपने प्रजा की स्थिति देख कर दुखी होकर भगवान विष्णु की शरण ली और उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की।
राजा सत्यव्रत के मन में विचार आया कि वह देव शयनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करे। उसने अपने प्रजा को भी इस व्रत का महत्व समझाया और सभी के साथ मिलकर व्रत करने का निर्णय लिया।
व्रत के दिन, राजा सत्यव्रत ने सवेरे शुद्ध स्नान किया और साफ-सुथरे वस्त्र धारण किए। उसने विधिवत पूजा-अर्चना की, तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को अर्पित किए और कथा का पाठ किया। पूरा दिन व्रत रखा और निर्जल व्रत का पालन किया।
राजा के साथ-साथ पूरे राज्य के लोग भी इस व्रत को श्रद्धा से करते रहे।
व्रत के प्रभाव से राजा के राज्य में फिर से वर्षा हुई और सूखा समाप्त हो गया। फसलें लहलहा उठीं और प्रजा खुशहाल हो गई। दुश्मनों ने भी राजा की शक्ति और धर्मपरायणता को देखकर युद्ध करने से परहेज किया। इस प्रकार राजा सत्यव्रत ने देव शयनी एकादशी का व्रत रखकर अपने राज्य और प्रजा को संकट से उबारा।
व्रत का महत्व
देव शयनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के विश्राम काल से जुड़ा हुआ है। इस दिन भगवान विष्णु संसार के कल्याण के लिए विश्राम करते हैं। इसलिए इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।
इस व्रत को करने वाले को पापों से मुक्ति मिलती है, परिवार में खुशहाली आती है और सफलता प्राप्त होती है।
देव शयनी एकादशी व्रत विधि
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स्नान और शुद्धि: व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
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पूजा सामग्री: तुलसी, धूप, दीपक, फल, पंचामृत, गंगा जल, कुमकुम, चंदन।
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पूजा विधि: भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने पूजा करें। तुलसी के पत्ते और जल चढ़ाएं।
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मंत्र जाप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र जाप करें।
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व्रत पालन: दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत रखें।
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कथा सुनना: देव शयनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
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दान-पुण्य: गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन दान करें।
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आरती और हवन: शाम को भगवान विष्णु की आरती करें और हवन करें।
स्नान और शुद्धि: व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
पूजा सामग्री: तुलसी, धूप, दीपक, फल, पंचामृत, गंगा जल, कुमकुम, चंदन।
पूजा विधि: भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के सामने पूजा करें। तुलसी के पत्ते और जल चढ़ाएं।
मंत्र जाप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र जाप करें।
व्रत पालन: दिनभर फलाहार या निर्जल व्रत रखें।
कथा सुनना: देव शयनी एकादशी की कथा पढ़ें या सुनें।
दान-पुण्य: गरीबों को अन्न, वस्त्र और धन दान करें।
आरती और हवन: शाम को भगवान विष्णु की आरती करें और हवन करें।
व्रत के लाभ
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पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति।
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जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास।
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रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ।
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कष्टों का निवारण और संकटों से बचाव।
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मोक्ष प्राप्ति की संभावना।
पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति।
जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास।
रोगों से मुक्ति और स्वास्थ्य लाभ।
कष्टों का निवारण और संकटों से बचाव।
मोक्ष प्राप्ति की संभावना।
दान का महत्व
एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व है। दान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अन्न, वस्त्र, तुलसी का पौधा और धन दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। दान से न केवल आत्मा की शुद्धि होती है, बल्कि जीवन में समृद्धि भी आती है।
निष्कर्ष
देव शयनी एकादशी व्रत अपने आप में अत्यंत शक्तिशाली व्रत है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ करने पर व्यक्ति को भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वह सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्त हो जाता है। यह व्रत जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।
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