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Yogini Ekadashi Vrat Katha Vidhi or Mehtb

88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने जितना फलदायी योगिनी एकादशी व्रत कथा 🌺

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   योगिनी एकादशी व्रत कथा व्रत विधि और महत्त्व


 🌺 योगिनी एकादशी व्रत कथा व्रत विधि और महत्त्व

(आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष एकादशी)

📜 प्रस्तावना:

राजा युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से निवेदन किया:
“हे माधव! कृपा करके बताइए कि आषाढ़ मास कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, उसकी विधि क्या है और उसका फल क्या है?”

भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया:

“हे धर्मराज! यह अत्यंत पुण्यदायक प्रश्न है। आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को 'योगिनी एकादशी' कहा जाता है। यह व्रत पापों का नाश करता है, रोगों से मुक्ति देता है और अंततः मोक्ष प्रदान करता है।”

"इस व्रत का फल 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान है। अब मैं इसकी पौराणिक कथा सुनाता हूँ।"


📖 योगिनी एकादशी की व्रत कथा (Yogini Ekadashi Katha in Hindi):

प्राचीन समय में अलकापुरी नगरी में कुबेर नामक राजा शासन करता था। वह भगवान शिव का परम भक्त था और प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक उनका पूजन करता था। राजा के दरबार में एक यक्ष था — हेममाली, जिसका कार्य था कि वह मानसरोवर से पुष्प लाकर शिवजी को अर्पित करे।

परंतु एक दिन हेममाली पुष्प लाने के बाद सीधे घर चला गया और अपनी पत्नी विशालाक्षी के साथ रमण में व्यस्त हो गया। परिणामस्वरूप, वह पुष्प राजा को नहीं पहुँचा सका और पूजा में विलंब हो गया।

क्रोधित होकर राजा कुबेर ने शाप दिया:

“हे दुष्ट! तू धर्म से विमुख हुआ है। तुझे कुष्ठ रोग होगा और स्वर्ग से गिराकर धरती पर कष्ट भोगना पड़ेगा।”

शाप के प्रभाव से वह यक्ष रोगग्रस्त होकर पृथ्वी पर आ गिरा। लंबे समय तक जंगलों में कष्ट सहते हुए एक दिन वह ऋषि मार्कंडेय के आश्रम पहुँचा।

मार्कंडेय ऋषि ने उसकी स्थिति जानकर कहा:

“यदि तू उद्धार चाहता है तो आषाढ़ कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी का व्रत कर। इससे रोगों का अंत होगा, पाप नष्ट होंगे और तुझे पुनः दिव्यता प्राप्त होगी।”

हेममाली ने विधिपूर्वक योगिनी एकादशी व्रत किया और उसका शरीर पुनः स्वस्थ व तेजस्वी हो गया। कालांतर में वह स्वर्गलोक को प्राप्त हुआ।


🌿 योगिनी एकादशी व्रत विधि (Yogini Ekadashi Vrat Vidhi)

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✅ व्रत करने की विधि:

तिथिकार्य
दशमी रात्रिसात्विक भोजन करें और व्रत का संकल्प लें।
एकादशी प्रातःस्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
पूजन विधिविष्णु सहस्त्रनाम, दीपक, तुलसी, नैवेद्य अर्पित करें।
उपवास विधिफलाहार या निर्जल व्रत करें (क्षमता अनुसार)।
रात्रि जागरणभजन-कीर्तन, विष्णु सहस्त्रनाम पाठ करें।
द्वादशी दिनब्राह्मण भोजन व दान देकर व्रत का पारण करें।

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व्रत से मिलने वाले लाभ (Yogini Ekadashi Benefits in Hindi):

  • 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य

  • कुष्ठ रोग व अन्य रोगों से मुक्ति

  • पापों का क्षय और जीवन में सुख-समृद्धि

  • मोक्ष की प्राप्ति

  • मानसिक तनाव व दरिद्रता से मुक्ति


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🕉️ श्रीकृष्ण का उपसंहार वचन:

"हे धर्मराज! जो श्रद्धा और नियमपूर्वक योगिनी एकादशी व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर परम पद को प्राप्त करता है।"






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