कामिका एकादशी व्रत कथा 2025 | श्रावण कृष्ण पक्ष की पूर्ण पूजा विधि और महत्व
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Kamika Ekadashi Vrat Katha 2025 and Puja Vidhi |
अर्जुन का प्रश्न
महाभारत के युद्ध के पश्चात अर्जुन ने एक दिन भगवान श्रीकृष्ण से पूछा—
"हे जनार्दन! मैंने आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी की कथा विस्तार से सुनी है। अब आप कृपा करके मुझे श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी की महिमा, उसका नाम, व्रत विधि तथा उसके पूजन से प्राप्त होने वाले फल के विषय में बताइए।"
भगवान श्रीकृष्ण का उत्तर
भगवान श्रीकृष्ण बोले—
"हे पार्थ! तुमने बहुत ही उत्तम प्रश्न किया है। यह एकादशी अत्यंत पुण्यदायिनी और मोक्षप्रद है। इसका नाम 'कामिका एकादशी' है। इसका महात्म्य स्वयं भीष्म पितामह ने नारद मुनि को सुनाया था, अब मैं वही तुम्हें सुनाता हूँ।"
नारदजी की जिज्ञासा और भीष्म पितामह का उत्तर
एक बार नारदजी ने भीष्म पितामह से पूछा—
"हे पितामह! मैं श्रावण कृष्ण पक्ष की एकादशी की महिमा, व्रत विधि और कथा जानना चाहता हूँ। कृपया विस्तारपूर्वक वर्णन करें।"
भीष्म पितामह बोले—
"हे नारद! इस एकादशी का नाम 'कामिका एकादशी' है। यह समस्त पापों का नाश करने वाली तथा भगवद्भक्ति को प्राप्त कराने वाली है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा शंख, चक्र और गदा के साथ की जाती है।"
कामिका एकादशी का पुण्यफल
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इस एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की पूजा करने से वाजपेय यज्ञ के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
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गंगा, केदारनाथ या कुरुक्षेत्र में ग्रहण के समय जो पुण्य मिलता है, वह इस व्रत के फल के सामने अल्प होता है।
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भगवान विष्णु की भक्ति में की गई सेवा, पूजन और दीपदान से मनुष्य सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
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तुलसीदल से भगवान श्रीहरि की पूजा करने का फल रत्न, स्वर्ण और चांदी के दान से अधिक होता है।
तुलसी पूजा का महत्व
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भगवान विष्णु तुलसीदल से अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
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तुलसी के दर्शन, स्पर्श, और अर्पण से मनुष्य पवित्र हो जाता है।
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तुलसी को जल से स्नान कराने से यम यातनाएं समाप्त होती हैं।
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तुलसी को भगवान के चरणों में अर्पित करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दीपदान और जागरण का फल
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इस दिन दीपदान करने से सूर्यलोक में सहस्रों दीपों का फल प्राप्त होता है।
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जो भक्त रात्रि में भगवान के समक्ष दीपक जलाते हैं, उनके पितर स्वर्ग में अमृत पान करते हैं।
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इस व्रत की कथा और जागरण के पुण्य को चित्रगुप्त भी पूर्ण रूप से लिख नहीं सकते।
कामिका एकादशी की मुख्य पौराणिक कथा
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक वीर क्षत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारणवश उसका एक ब्राह्मण से विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि क्रोधवश क्षत्रिय ने ब्राह्मण की हत्या कर दी।
इस पाप के पश्चात वह अत्यंत दुखी और व्याकुल रहने लगा। उसे अपने कृत्य पर गहरा पछतावा हुआ। जब उसने ब्राह्मण की अंत्येष्टि करनी चाही, तो गाँव के पंडितों और ब्राह्मणों ने उसे रोक दिया और कहा:
"तुम ब्रह्महत्या के दोषी हो। जब तक तुम इस पाप से मुक्त नहीं होते, हम तुम्हारे घर नहीं आएँगे और न ही अंतिम संस्कार में सम्मिलित होंगे।"
वह क्षत्रिय ब्राह्मणों के चरणों में गिर पड़ा और बोला—
"हे पूज्यजन! कृपया मुझे बताइए कि मैं इस पाप से कैसे मुक्त हो सकता हूँ? कौन सा प्रायश्चित करूँ जिससे मेरा उद्धार हो?"
ब्राह्मणों ने उसे बताया:
"हे राजन! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की 'कामिका एकादशी' का व्रत करो। उस दिन भगवान विष्णु का विधिपूर्वक पूजन करो और ब्राह्मणों को भोजन कराके दक्षिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करो। तभी तुम ब्रह्महत्या के पाप से मुक्त हो सकते हो।"
उस क्षत्रिय ने ब्राह्मणों के निर्देशानुसार श्रद्धा और भक्ति से कामिका एकादशी व्रत किया, पूरे दिन उपवास रखा, भगवान श्रीहरि की पूजा की और रात्रि जागरण किया।
रात में भगवान श्रीहरि ने प्रसन्न होकर उसे स्वप्न में दर्शन दिए और कहा:
"हे वत्स! तुम्हारा पाप नष्ट हो गया है। तुम ब्रह्महत्या के दोष से मुक्त हो चुके हो। अब तुम पुनः पवित्र जीवन जी सकते हो।"
सुबह होते ही क्षत्रिय ने अपना अनुभव ब्राह्मणों को बताया। ब्राह्मणों ने उसका स्वागत किया, ब्राह्मण भोज हुआ, और उसके पितरों की आत्मा को शांति प्राप्त हुई।
व्रत करने का फल
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ब्रह्महत्या, पापाचार, असत्य, क्रोध, द्वेष जैसे महापाप इस एकादशी व्रत से समाप्त हो जाते हैं।
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जो इस व्रत को करता है, वह अंत में विष्णुलोक (वैकुण्ठ) को प्राप्त होता है।
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जो मनुष्य केवल इस व्रत कथा को भी श्रद्धा से सुनते या पढ़ते हैं, उन्हें स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
कामिका एकादशी व्रत विधि (संक्षेप में)
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स्नान व संकल्प: प्रातःकाल शुद्ध होकर व्रत का संकल्प लें।
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पूजन सामग्री: तुलसीदल, पीले पुष्प, धूप-दीप, फल, पंचामृत, चंदन, शंख आदि से भगवान विष्णु का पूजन करें।
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उपवास: एकादशी को अन्न त्याग कर फलाहार करें, जल भी सीमित मात्रा में लें (निर्जल व्रत श्रेष्ठ माना गया है)।
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भजन व पाठ: विष्णु सहस्रनाम, भगवद्गीता या श्री हरि स्तोत्र का पाठ करें।
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रात्रि जागरण: रात्रि को दीप जलाकर भजन कीर्तन करें।
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द्वादशी दिन: अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान करें और व्रत का पारण करें।
कामिका एकादशी का सार
कामिका एकादशी केवल व्रत नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि का मार्ग है। यह मनुष्य को संसार के पापों से मुक्त कर भगवान की भक्ति की ओर अग्रसर करती है। इस दिन तुलसी पूजन, विष्णु आराधना, और जागरण विशेष रूप से फलदायक माने गए हैं।
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