वैष्णवों में प्याज का सेवन
क्यों वर्जित है? धार्मिक कारण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैष्णव धर्म और सात्त्विक आहार
Vaishnav Dharma में आहार का विशेष महत्व माना जाता है। वैष्णव परंपरा में सात्त्विक जीवन जीने पर बल दिया गया है। सात्त्विक भोजन में Pyaz aur Lahsun varjit माने जाते हैं क्योंकि ये मन और शरीर को तामसिक बनाते हैं।
धार्मिक कारण (Dharmik Karan)
वैष्णव संप्रदाय में मान्यता है कि प्याज और लहसुन रजोगुण और तमोगुण को बढ़ाते हैं। ये भोजन साधना, भक्ति और ध्यान में बाधा उत्पन्न करते हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि भक्त को ऐसा भोजन करना चाहिए जो मन को शांत रखे और भगवान की भक्ति में सहायक बने।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
Ayurveda ke anusar, प्याज और लहसुन औषधि की श्रेणी में आते हैं, आहार की नहीं। यानी ये शरीर के रोगों को ठीक करने के लिए तो उपयोगी हैं लेकिन नियमित भोजन में लेने से मनुष्य की चेतना में अस्थिरता आती है।
आयुर्वेद में प्याज और लहसुन को औषधि की श्रेणी में रखा गया है, आहार में नहीं।
Lahsun (Garlic) – हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के लिए लाभकारी माना जाता है, लेकिन यह शरीर में अत्यधिक गर्मी और उत्तेजना पैदा करता है।
Pyaz (Onion) – यह पाचन सुधारने और जीवाणुनाशक गुणों से भरपूर है, लेकिन यह शरीर को तामसिक गुण देता है।
👉 इसलिए वैष्णव परंपरा कहती है कि इनका उपयोग केवल दवा के रूप में हो, भोजन में नहीं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific View)
वैज्ञानिकों का मानना है कि प्याज और लहसुन में ऐसे तत्व होते हैं जो शरीर की उत्तेजना बढ़ाते हैं। यह मानसिक शांति को प्रभावित करते हैं और ध्यान व भक्ति जैसे कार्यों में बाधा डाल सकते हैं।
आधुनिक विज्ञान भी कुछ हद तक इस परंपरा का समर्थन करता है।
1. नर्वस सिस्टम पर प्रभाव – प्याज और लहसुन में ऐसे तत्व होते हैं जो नर्वस सिस्टम को उत्तेजित कर देते हैं।
2. भावनात्मक संतुलन पर असर – नियमित सेवन से मन में चिड़चिड़ापन और अस्थिरता बढ़ सकती है।
वैष्णव समाज में पालन
पूजा-पाठ के समय प्याज-लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता।
मंदिरों में बनने वाले Prasadam में कभी भी प्याज-लहसुन नहीं डाला जाता।
सात्त्विक भोजन से मनुष्य के विचार पवित्र और स्थिर बने रहते हैं।
मंदिरों में नियम
जगन्नाथ पुरी, वृंदावन और द्वारका जैसे वैष्णव मंदिरों में प्याज और लहसुन पूरी तरह वर्जित है।
ISKCON मंदिरों का Prasadam विश्वभर में प्रसिद्ध है और यह पूरी तरह प्याज-लहसुन रहित होता है।
भक्त मानते हैं कि भगवान को केवल शुद्ध सात्त्विक भोजन ही अर्पित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
Vaishnav Sampraday में प्याज और लहसुन का सेवन वर्जित है क्योंकि यह शरीर और मन को तामसिक बनाता है। धार्मिक मान्यता, आयुर्वेद और वैज्ञानिक दृष्टिकोण – सभी इस बात का समर्थन करते हैं कि सात्त्विक आहार अपनाने से जीवन में शांति, भक्ति और अध्यात्म की वृद्धि होती है।
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