अखबार में दी हुई राशियां हर किसी के लिए एक समान कार्य क्यों नहीं करते हैं
बंधुवर,हम और आप अपनी आस्थाओं के कारण ज्योतिष की ओर अग्रेषित होते हैं और हम और आप देखते हैं कि प्रत्येक टीवी चैनल, अखबार, पत्रिका, समाचार पत्र इत्यादि सभी में विभिन्न प्रकार से राशिफल दिए जाते हैं हम और आप एक बात से बहुत ही भर्मित होते हैं कि किसी अखबार, समाचार पत्र में जो सार्वजनिक रूप में राशिफल दिया जाता है उस राशिफल को किस प्रकार से देखें जब हम राशिफल देखते है तो कुछ कोष्ठक में तारीख दी होती हैं इस महीने से लेकर के इस महीने तक जन्म वाले व्यक्ति इस राशि को देखें और वह दिन सामान्यता 30, 31 दिन होते हैं जैसे तुला राशि वालों के लिए 22 अक्टूबर से 21 नवंबर मेष राशि वालों के लिए 21 मार्च से 21 अप्रैल तक ऐसे 1 महीने की तारीख दी जाती हैं, इसके अलावा एक राशि होती है जिस नाम से हम को पुकारा जाता है जैसे मेरा नाम राकेश है तो मेरी राशि तुला , अब मान लीजिये मेरा जन्म 27 अप्रैल का है तो अखबार के राशिफल के अनुसार मेरी राशि वृष बैठती है, इसके अल्वा हमारी एक जन्म राशि होती है जैसे हमने जन्म लिया जन्म लेते समय ग्रह स्थिति में चंद्रमा किस राशि पर था अथवा और ग्रहों की क्या स्तिथि थी उस पर निर्भर करता हैं , उसके लिए हमारे यहां पर जन्म के अनुसार 12 राशियां आती हैं , ज्योतिष चक्र के अनुसार राशिफल साडे 29 दिन में अपना एक चक्कर पूरा करती है और वह उसी क्रम से चलती रहती है उसे हम जन्म राशि कहते हैं विचार करें उन राशिफल में से अपना राशिफल किस प्रकार से देखें , 1 महीने की राशि जो अखबारों में दी हुई होती हैं तो क्या 1 महीने तक जन्म लेने वाले सभी के साथ एक सी ही घटना घटित होती हैं ,आप देखें ऐसा नहीं होता ज्योतिष द्वारा यह भी अनुभव आते हैं कि जो दो जुड़वा बच्चों के जन्म मिनट में दो मिनट में या 5 मिनट के अंतर से हुए होते हुए भी कुंडली में सामान्य ग्रह स्थिति में कोई अंतर नहीं होता , परंतु उन दोनों के जिए जाने वाले जीवन, रंगरूप, मनोवृति, सफलता, असफलता में अंतर पाया जाता है ,जब इन दोनों में अंतर पाया जाता है तो वह 1 महीने की दी जाने वाली राशि किस प्रकार से सिद्ध हो सकती हैं , जिस प्रकार 21,22 अप्रैल से वृष राशि बताई जाती है , 21, 22 अप्रैल को सूर्य गणना वृति से वृष राशि में प्रवेश करता है और 21व 22 मई तक रहता है तो उस समय जन्म लेने के अनुसार पाश्चात्य मत से उन सब की राशि वृष होगी, भारतीय ज्योतिष के क्रम के अनुसार जो जन्म की राशि है वह जन्म की राशि एक सी मानी जाती है, प्रत्येक महीने सवा 2 दिन के लिए चंद्रमा एक राशि पर भ्रमण करता है साढे 29 दिन में चंद्रमा खगोल का चक्र करते हुए संपूर्ण 12 राशियों का भोग कर लेता है इस प्रकार 1 साल में एक राशि पर चंद्रमा 12 बार आता है , एक पद्धति और है उस राशि को देखने के लिए वह जन्म की राशि अवघडा चक्र के अनुसार जो विभाजन होता है और प्रत्येक की कुंडली में उस राशि का उल्लेख होता है चंद्र कुंडली भी होती है चंद्र राशि भी होती है चाहे कंप्यूटर से जन्म कुंडली बनबाये चाहे पंडित से उसका उल्लेख आपकी जन्म कुंडली में प्राप्त हो जाएगा एक हमारा बोलता हुआ नाम एक उसकी राशि होती है जैसे मैंने बताया मेरा नाम राकेश मेरा जन्म 27 अप्रैल का है तो मेरी राशि होती है तुला और एक राशि वृष होती है मेरा जन्म धनिष्ठा नक्षत्र में हुआ, दूसरे चरण में तो मेरी राशि हुई मकर अब हमारे सामने दुविधा पूर्वक स्थिति रहती है कि अब हम किस प्रकार इसको माने अगर जन्म राशि को माने तो उसमें भी चंद्रमा सवा 2 दिन रहता है तो क्या 2 दिन में जन्म लिए हुए प्रत्येक व्यक्ति को उस राशि के अनुसार फल की प्राप्ति होती है यदि आप और हम अनुभव मे ले तो ऐसा घटित नहीं होता है यदि मेरे अनुसार अगर आपको जन्म राशि का पता है तो आप अपनी राशि समाचार पत्र, टीवी, इत्यादि में अपनी जन्म राशि से अनुमान करें तो आपको उसके 1 महीने की दी हुई सूर्य राशि की अपेक्षा अधिक फलों की अनुभूति होगी !बोलते हुए नामों की राशि में यदि जन्म राशि ना हो तो बोलते हुए नामों की राशि का प्रयोग अख़बार इत्यादि में देखने का प्रयोग करें परंतु वह भी स्तूल होगा ,क्या एक ही नाम के एक ही व्यक्ति एक ही नाम के समस्त व्यक्तियों को एक ही दिन समान फल की प्राप्ति होती है इस विषय में प्रमाणिक उदाहरण देता हूं
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बीबीएस लक्ष्मण के द्वारा इंगल गार्डन में राहुल द्रविड़ के साथ खेली हुई ऑस्ट्रेलिया के सामने उसकी पारी सर्वश्रेष्ठ पारी में सुनार होती है और एक पारी के द्वारा जब ऑस्ट्रेलिया के साथ में राहुल द्रविड़ वीवीएस लक्ष्मण ने भारत को जीत की ओर अग्रेषित किया था उस एक पारी के द्वारा बीबीएस लक्ष्मण टेस्ट क्रिकेट में अमरता के लिए प्राप्त हो गए क्योंकि विश्व मंडल की 10 सर्वश्रेष्ठ सर्वकालिन सर्वश्रेष्ठ पारियों में वीवीएस लक्ष्मण की उस पारी की गणना होती है उसी दिन "व" शब्द पर आते हुए भारतीय जनता पार्टी के उच्च श्रेणी के नेताओं से तहलका कांड में रिश्वत में पकड़े गए और देखें दोनों के नाम के अक्षर की राशि "व" है एक है वह इतिहास में अमर हो गया और एक का राजनीतिक कैरियर समाप्त हो गया , अब सोचे कि व राशि का एक का अमर हो गया और एक का समाप्त हो गया ऐसा क्यों हुआ इसमें क्या अंतर था इस विषय में मेरी अपनी खोज के अनुसार गोचर को देखने के लिए एक अन्य तरीका श्री ज्योतिष के प्रतिष्ठा हस्ताक्षर श्री कृष्ण मूर्ति जी जिनकी कृष्णमूर्ति पद्धति ज्योतिष में सर्व नवीनतम पद्धति है जिसका आज के समय में प्रचलन है आज से 18 वीं शताब्दी के अंत और 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में भारत में अद्भुत ज्योतिष हुए श्री हनुमंत निमषा काटवे वह मराठी थे इसलिए हिंदी में उनकी पुस्तकों का अधिक प्रचार नहीं हुआ नहीं हुआ ज्योतिष में सफलता प्राप्त करने के लिए मेरा विचार है कि श्री हनुमत निमषा काटवे की पुस्तकों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए उनके द्वारा और श्री कृष्ण मूर्ति के द्वारा गोचर फल देखने का मार्ग प्रदान किया है उसमें उनका तर्क है जब हमको जीवन में प्रत्येक ग्रह का फल हमारे जन्म लग्न की स्थिति से प्राप्त होता है चाहे ग्रह का भाव फल हो या दशा फल हो तो गोचर के फल के लिए हम चंद्रमा का प्रयोग क्यों करते हैं मेरा अनुभव है कि गोचर का प्रयोग जन्म लग्न के अनुसार किया जाए जन्म लग्न से विचार करते हुए जन्मस्ट ग्रहों से बनने वाले ग्रह का विचार करें तो श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है विंशोत्तरी दशा के विषय में जिन आचार्य ने विचार किया उन सभी ने विशोंतरी दशा के फल के लिए एक आवश्यक निर्देश दिया कि यदि विंशोत्तरी दशा में ग्रह का फल अच्छा आ रहा हो वह ग्रह जन्मकुंडली गोचर में खराब फल देने की स्थिति में हो तो विंशोत्तरी की दशा का अच्छा फल प्राप्त नहीं होता है यदि कोई विंशोत्तरी दशा का फल, उप दशा का फल प्रयतन दशा का फल हमको खराब प्राप्त होने का संकेत में आ रहा है और वह ग्रह तत्कालीन रूप में गोचर में जन्म कुंडली के अनुसार अच्छी स्थति में चल रहा हो तो उसके खराब फल की प्राप्ति नहीं होती और यह बात समस्त ज्योतिष श्रेष्ठ आचार्य जितने भी पुराने श्रेठ विद्वान व पुस्तक हैं उन सब में इन मार्गदर्शन की प्राप्ति होगी मेरा विचार है कि इस बात को अपने अनुभव में करें
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