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Sury Ko Jal Dene Ke Fayde - सूर्य को जल चढाने से क्या फायदा होता है

 सूर्य को जल चढाने से क्या फायदा होता है 

sury ko jal dene se kya fayda hota hai
सूर्य को जल देने के फायदे 

सूर्य को जल क्यों देते हैं 

   प्रिय आत्मीय जन, हमारे आपके धार्मिक क्रियाकलापों में एक क्रियाकलाप मनुष्य के नेतृत्व में वर्णन नित्यक्रम जो रोजाना किए जाने वाला कार्य हमारे आपके संस्कार में एक निश्चित क्रम है भगवान सूर्य के लिए अर्घ प्रदान करना,  सूर्य को हमारे यहां पर प्रत्यक्ष देवता कहा गया है सूर्य इस संसार की आत्मा है, यह एक वैज्ञानिक सत्य है कि सृष्टि का निर्माण सूर्य के तेज़ के कारण हुआ है जीव की उत्पत्ति तेज़ से होती है अग्नि के द्वारा जीव की उत्पत्ति होती है.
 देखिए यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई तो उसका शरीर यदि हिमाचल पर्वत पर बर्फ के नीचे दबा रहे तो सालों बीत जाने पर  अगर उस व्यक्ति के शरीर को निकाला जाए तो उसमें कोई अन्य जीव की उत्पत्ति नहीं होती वह शरीर हमें तरोताजा प्राप्त होता है , यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए उसका शरीर को अंतिम संस्कार ना हो और वह ऐसे ही खुले में पड़ा रहे तो वह सड़ जाता है उसमें कीड़े की उत्पत्ति हो जाती है ,कीड़ों के जीव की उत्पत्ति  सूर्य के तेज से होती है,  दूसरे प्रयोग आप घर में करके देखें हमारे घर में खाने का सामान फ्रिज में रख देते हैं फ्रिज में वह ठन्डे  में रहता है ठन्डे  में रहने पर किसी चीज की उत्पति  नहीं होती यदि वह वस्तु फ्रिज में न  रख कर बाहर रखी रह जाए तो आप देखिए उसमें कीड़े पड़ जाते हैं यह  पूर्णता वैज्ञानिक सत्य की पृथ्वी पर यदि जीवन का आरंभ हुआ तो वह सूर्य की गर्मी से हुआ  धर्मशास्त्र में कहा गया है सूर्य इस जगत की आत्मा है सूर्य के द्वारा इस जगत् की उत्पत्ति हुई है
एक प्रकार से और देखें की  हमारे यहां पर तर्पण होता है तर्पण होने में पिता,बाबा और परबाबा तीन पूर्व पुरुषों का तर्पण श्राद्ध इत्यादि में करते हैं यदि मान लीजिए कि किसी को अपने पिता का नाम नहीं पता है उसे वह वसु रूप में जल प्रदान कर सकता है बाबा का नाम मालूम नहीं है तो वह उसे रुद्र के नाम से जल प्रदान कर सकता है, परबाबा का नाम मालूम नहीं है तो आदित्य रूप में जल  प्रदान कर सकता है इस प्रकार सूर्य को हमारा परबाबा माना गया है इस प्रकार हमारी सृष्टि के मूल में सूर्य आता है, सूर्य अत्यधिक बलशाली है यदि सूर्य का प्रकाश प्राप्त ना हो तो बीज में अंकुश नहीं फुटता है सूर्य की गर्मी प्राप्त ना हो तो पौधे नहीं बढ़ते हैं और फसल वृद्धि के लिए प्राप्त नहीं होती है , हमारी प्रगति हमारे तेज़ के लिए सूर्य की अत्यधिक आवश्यकता है आज के समय में जो हमारी जीवनशैली है उस जीवन शैली मे  मनुष्य में नवीन रूप में कोई रोग उत्पन्न हो रहा हो तो वे रोग विटामिन D3 की कमी से हो रहा है विटामिन D3 की कमी के कारण हमारे शरीर में हड्डियों का टूटना, जोड़ों का दर्द,  हडियो का सही काम ना करना  यह सब होता है , यदि संसार में शुद्ध रूप में विटामिन D प्राप्त होता है तो वह सूर्य की गर्मी सूर्य से प्राप्त होता है एक वैज्ञानिक तथ्य जो व्यक्ति सूर्य की गर्मी के साथ अपने दिन का भार   सूर्य के सामने कुछ देर बीताता है उसका शरीर आरोग्य से परिपूर्ण रहता है
 देखिये हम बोलते है यदि आपको सुख की कामना है तो इस देवता का पूजन करें उसी प्रकार यदि आपको आरोग्य की  कामना है की मेरा शरीर निरोग रहे उसके लिए भगवान सूर्य का पूजन करें,

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सूर्य को जल चढाने का सही समय 

 वैज्ञानिक प्रमाणित सत्य है कि उगता सूरज जिस  समय उसका रंग लाल रहता है उस समय सूर्य के किरणों के द्वारा जिन तथ्यों की वर्षा इस पृथ्वी पर होती है यदि कोई मनुष्य उस समय अर्घ देता है तो उसे बहुत फायदा होता है।

सूर्य को जल कैसे दें -जल देने की विधि 

 अर्घ प्रदान करने का तरीका है हथेली में जल लेकर के अपने सर के ऊपर ले जाएं और भगवान सूर्य को धार के रूप में अर्घ  प्रदान करें जब वह जल गिरता हुआ जमीन पर आएगा इस जल से परिवर्तित होकर के सूर्य की किरण आपके शरीर में प्रवेश होंगी तो वह आपके शरीर को आरोग्य प्रदान करेगी ,इस भावना से सूर्य को जल प्रदान करें  कि हे सूर्य नारायण आप इस जगत के स्वामी हैं आपके द्वारा जगत की उत्पत्ति होती है मैं आपको नमस्कार करता हूं मेरे द्वारा किए जाने वाले इस अर्घ  को स्वीकार करें जिसके द्वारा मुझे तेज, बल और आरोग्य की प्राप्ति हो।
 सूर्य को जल देने की धातु तावा है सूर्य को जल देने की अधिक विधियां हैं एक विधि के अनुसार इस प्रकार कहा गया है पूर्व की ओर लाल वस्त्र पहन कर के बैठे  और अपने सामने चौड़ा तावे का पात्र रखे उस पात्र में जल भरकर के भगवान सूर्य के दर्शन उस जल में करें उस जल मे भगवान सूर्य का दर्शन करते हुए गंधर्श पुष्प इत्यादि  से भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करें भगवान सूर्य का पूजन करें और उसे जल मे भगवान सूर्य को देखते हुए भगवान सूर्य का पूजन करने के उपरांत फिर उस अर्घ पात्र को उठाये और खड़े होकर के उस पात्र  को सिर के ऊपर ले जाकर अर्घ  देते हुए उस जल की धार को नीचे गिराए जिससे उस सूर्य की किरण परिवर्तित हो करके हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारे मन, तन, वृद्धि और हमको आरोग्य प्रदान करें!




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