🌼 बहुला चौथ व्रत कथा: महत्त्व, पूजा विधि और संपूर्ण कहानी हिन्दी में | Bahula Chauth Vrat Katha in Hindi
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बहुला चौथ की अद्भुत कथा |
🪔 बहुला चौथ क्या है? | What is Bahula Chauth?
बहुला चौथ (Bahula Chauth) भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से गौ माता की पूजा और संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और गाय के बछड़े सहित पूजा करती हैं।
मुख्य उद्देश्य: गौ माता का पूजन कर अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की लंबी उम्र की कामना करना।
📖 विस्तृत बहुला चौथ व्रत कथा | Detailed Bahula Chauth Vrat Katha in Hindi
प्राचीन समय की बात है, एक गाँव में एक बहुला नामक गौ (गाय) अपने बछड़े के साथ रहती थी। वह अत्यंत धार्मिक, शांत और सत्यनिष्ठा वाली थी। उसका मालिक एक ब्राह्मण था जो बहुत श्रद्धालु था और बहुला को अपने परिवार का हिस्सा मानता था।
🐄 बहुला का प्रतिदिन का नियम
हर दिन बहुला गाय सुबह जंगल के पास चरने जाती, वहां ताजे हरे चारे से पेट भरकर लौटती, और फिर अपने बछड़े को दूध पिलाती। एक दिन की बात है – वह जब जंगल की ओर गई, तो रास्ते में एक भयंकर सिंह (शेर) ने उसका रास्ता रोक लिया।
🦁 भगवान श्रीकृष्ण ने लिया सिंह रूप
असल में वह सिंह कोई सामान्य जीव नहीं था। वह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण थे, जिन्होंने बहुला की सत्यनिष्ठा, मातृत्व और धर्मपालन की परीक्षा लेने के लिए यह रूप धारण किया था।
सिंह ने गरजते हुए कहा –
“मैं बहुत भूखा हूँ, आज तुझे ही भोजन बनाऊँगा।”
बहुला बहुत घबराई, लेकिन उसने धैर्य और साहस नहीं छोड़ा। उसने सिंह से करबद्ध होकर कहा:
"हे वनराज! मुझे केवल कुछ ही क्षणों के लिए छोड़ दो। मेरा नन्हा बछड़ा घर पर भूखा है। मैं उसे एक बार दूध पिला दूँ, फिर आपके पास स्वयं लौट आऊँगी। आप तब मुझे खा लेना।"
🦁 सिंह का संदेह
सिंह ने कठोर स्वर में कहा:
"कोई भी अपने प्राण बचाने के बाद लौटकर नहीं आता। तू भी झूठ बोल रही है।"
बहुला ने बड़ी विनम्रता से उत्तर दिया:
“मेरा धर्म यही है कि मैं सत्य बोलूं और वचन निभाऊं। यदि मैं लौटकर न आऊँ, तो मेरा धर्म नष्ट हो जाएगा। मुझे विश्वास है, मैं अपने धर्म के कारण अवश्य लौटूंगी।”
सिंह ने उसे जाने दिया, यह सोचकर कि यह तो एक परीक्षा है। बहुला दौड़ी, घर पहुंची, बछड़े को दूध पिलाया और अपना वचन निभाने के लिए पुनः उसी सिंह के पास लौट आई।
🌟 भगवान का आशीर्वाद
जब बहुला वापस लौटी और सिंह के सामने खड़ी हुई, तो वह सिंह मुस्कराते हुए श्रीकृष्ण के रूप में प्रकट हो गया। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा:
"हे बहुला! मैं तेरी सत्यनिष्ठा, मातृत्व और धर्मपालन से अत्यंत प्रसन्न हूँ। मैं तेरी परीक्षा ले रहा था।
तू न केवल गायों की श्रेष्ठता का प्रतीक है, बल्कि सच्चे धर्म की मूर्ति भी है।"
भगवान ने बहुला को दीर्घायु, सम्मान और स्वर्गलोक का वरदान दिया और कहा:
“जो स्त्री इस दिन (भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी) को बहुला चौथ का व्रत करेगी और इस कथा को श्रद्धा से सुनेगी, उसकी संतान लंबी उम्र और सुख-संपन्नता प्राप्त करेगी।”
🙏 बहुला चौथ व्रत कथा से शिक्षा
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वचन पालन कितना महान धर्म है।
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सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने वालों की भगवान स्वयं रक्षा करते हैं।
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गौ माता का पूजन और सेवा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
✨ बहुला चौथ व्रत का महत्त्व और लाभ
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संतान की दीर्घायु और सफलता की कामना
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घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास
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पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति
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गौ माता की कृपा से कष्टों का निवारण
शास्त्रों में माना गया है कि बहुला चौथ व्रत करने से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
🪷 बहुला चौथ पूजा विधि | Bahula Chauth Pooja Vidhi
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स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
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गाय और बछड़े की मूर्ति या चित्र की स्थापना करें।
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हल्दी, रोली, अक्षत, फूल, दूध, घी, गुड़ आदि से पूजा करें।
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गौ माता को चारा, गुड़ और जल अर्पित करें।
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दिनभर निर्जला उपवास रखें।
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शाम को कथा सुनें और आरती करें।
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अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
🙏 बहुला चौथ व्रत के नियम
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व्रती को व्रत के दिन एकदम सत्यनिष्ठ रहना चाहिए।
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गौ माता की सेवा करना अत्यंत पुण्यकारी है।
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केवल फलाहार या निर्जला व्रत करें (शक्ति अनुसार)।
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संध्या समय व्रत कथा अवश्य सुनें या पढ़ें।
🔚 निष्कर्ष | Conclusion
बहुला चौथ का व्रत नारी शक्ति, मातृत्व और धर्म के प्रतीक के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत रखने से न केवल पारिवारिक कल्याण होता है, बल्कि समाज में गाय के प्रति श्रद्धा और संरक्षण की भावना भी जाग्रत होती है।
👉 यदि आप भी अपने परिवार के सुख-शांति और संतान की समृद्धि की कामना रखते हैं, तो इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करें।
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