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Hartalika Teej 2025: क्यों रखा जाता है ये कठिन निर्जल व्रत? पूरी कहानी और विधि यहां जानें!

 Hartalika Teej Vrat 2025: व्रत का महत्त्व, पूजा विधि और पौराणिक कथा

Hartalika Teej Vrat 2025 – Shiv Parvati ki puja karte hue vrat rakhti mahila, Bhakti aur Shraddha ka prateek
शिव-पार्वती की पूजा करते हुए महिलाएं Hartalika Teej का निर्जल व्रत करती हैं।


🌸 Hartalika Teej क्या है?

Hartalika Teej हिन्दू धर्म का एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से कुंवारी कन्याएं और विवाहित महिलाएं रखती हैं। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव के पवित्र मिलन की स्मृति में किया जाता है। यह व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे निर्जल व्रत (बिना जल के उपवास) के रूप में रखा जाता है।


🌿 Hartalika Teej व्रत के लाभ

  • विवाहित महिलाओं को पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।

  • अविवाहित कन्याओं को इच्छित और योग्य वर की प्राप्ति होती है।

  • यह व्रत सौभाग्य, समर्पण और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।

  • मानसिक शुद्धता और आत्मिक संतुलन के लिए भी यह व्रत फलदायक माना गया है।

🕉️ Hartalika Teej व्रत विधि (Puja Vidhi):

  1. व्रत से एक दिन पहले सादा भोजन करें (सात्विक आहार)

  2. व्रत के दिन प्रातः स्नान करके संकल्प लें – निर्जल व्रत का

  3. मिट्टी की शिवलिंग और पार्वती की मूर्ति बनाएं या स्थापित करें

  4. उन्हें गंगाजल, फल, फूल, बेलपत्र, धतूरा, चंदन आदि अर्पित करें

  5. माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन करें

  6. Hartalika Teej Vrat Katha सुनें या पढ़ें

  7. रात्रि जागरण करें – व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करें

🌼 विशेष ध्यान दें: इस दिन केवल सात्विक पूजन सामग्री का उपयोग करें और व्रत में जल तक न लें।

 📖 Hartalika Teej व्रत कथा (विस्तार से):

बहुत प्राचीन काल की बात है। हिमालय पर्वत पर राजा हिमवान और उनकी पत्नी मैना देवी राज्य किया करते थे। उनके घर में एक अत्यंत तेजस्वी, सुंदर, संयमी और धर्मनिष्ठ कन्या ने जन्म लिया — जिसे हम माता पार्वती के रूप में जानते हैं। यह वही देवी हैं जिन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी।

🌿 बचपन से ही शिव को पति मान चुकी थीं पार्वती

कहा जाता है कि पार्वती जी ने पिछले जन्म में भी शिव जी को पाने के लिए तप किया था, लेकिन उस जन्म में वे सफल नहीं हो सकीं। इसलिए इस जन्म में जन्म लेते ही उन्होंने यह निश्चय किया कि वे केवल भगवान शिव को ही अपने पति के रूप में स्वीकार करेंगी।

छोटी उम्र से ही वे भगवान शिव की आराधना में लग गईं। वे घंटों ध्यान करतीं, शिवलिंग पर जल अर्पण करतीं और जप-तप में लीन रहतीं। उनके इस व्यवहार को देख कर उनके माता-पिता भी अचंभित थे, परंतु वे इसे बच्चों की भावना समझकर नज़रअंदाज़ करते रहे।

🏔️ राजा हिमवान ने तय किया विवाह विष्णु से

समय बीतता गया। जब पार्वती विवाह योग्य आयु की हुईं, तो राजा हिमवान ने भगवान विष्णु से उनका विवाह तय कर दिया। भगवान विष्णु स्वयं साक्षात नारायण हैं — हिमवान को यह प्रस्ताव बहुत ही योग्य और धर्मसम्मत लगा।

जब पार्वती जी को यह समाचार मिला कि उनका विवाह विष्णु जी से होने वाला है, तो वे अत्यंत दुखी और व्याकुल हो उठीं। उन्होंने अपने मन में यह संकल्प ले रखा था कि वे केवल भगवान शिव को ही पति रूप में स्वीकार करेंगी, फिर चाहे उन्हें इसके लिए कितना भी तप करना पड़े।

🧡 सखी ने किया मदद — 'हर-तालीका' का नाम यहीं से पड़ा

पार्वती जी ने अपनी सखी को अपने मन की बात बताई। जब सखी को यह ज्ञात हुआ कि पार्वती शिव को ही पति बनाना चाहती हैं, तो उसने उन्हें उस विवाह से बचाने के लिए एक उपाय निकाला।

सखी ने पार्वती को छिपाकर जंगल में ले जाकर उन्हें वहां छोड़ दिया, ताकि विष्णु जी के साथ विवाह न हो सके। यहीं से इस व्रत का नाम पड़ा —

"हरतालिका" — "हर" = हर लेना, "तालिका" = सखी।
अर्थात् वह सखी जिसने पार्वती को पिता के घर से "हर" लिया।

🕉️ जंगल में कठिन तपस्या और शिवलिंग की पूजा

पार्वती जी अब वन में अकेली थीं। वहां उन्होंने कठोर तपस्या और उपवास करना प्रारंभ किया। उन्होंने निर्जल व्रत रखा और पास की मिट्टी से भगवान शिव और गणेश जी की मूर्ति बनाकर उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करने लगीं। वे भूख-प्यास सब भूलकर शिव ध्यान में लीन हो गईं।

उनकी यह भक्ति और तप कई वर्षों तक चला। देवी पार्वती ने न तो जल ग्रहण किया, न ही कोई भोजन। वे केवल शिव नाम के जाप में ही रमी रहीं।

🙏 भगवान शिव हुए प्रसन्न

पार्वती जी की इस अनन्य भक्ति, समर्पण और कठोर तपस्या से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। वे प्रकट हुए और माता से पूछा:

"हे देवी, तुम कौन हो और इतनी कठोर तपस्या क्यों कर रही हो?"

माता पार्वती ने उत्तर दिया:

"प्रभु, मैं इस जन्म में भी आपको ही पति रूप में प्राप्त करने का संकल्प लेकर तप कर रही हूँ।"

भगवान शिव ने माता की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वचन दिया:

"हे देवी, तुम्हारा तप सफल हो गया है। अब तुम मुझे अपने पति रूप में प्राप्त करोगी।"

इस प्रकार पार्वती जी को शिव जी का अनुग्रह प्राप्त हुआ और उनका विवाह शिव से संपन्न हुआ। तभी से यह व्रत महिलाएं माता पार्वती के समान दृढ़ निष्ठा और समर्पण भाव से करती हैं।


🌟 इस व्रत की सीख क्या है?

Hartalika Teej केवल एक धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि यह संकल्प, समर्पण, आत्मबल और स्त्री की आस्था का प्रतीक है। यह व्रत यह सिखाता है कि अगर संकल्प पवित्र हो, और मन अटल — तो भगवान भी आपकी प्रार्थना को अनसुना नहीं करते।

🪔 महत्वपूर्ण बातें:

  • यह व्रत बिना जल के रखा जाता है — इसे कठिन व्रत माना गया है

  • रात्रि जागरण (जागरण और भजन कीर्तन) करने का विशेष महत्व है

  • अगली सुबह सूरज निकलने के बाद व्रत तोड़ा जाता है




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