108 महामृत्युंजय जाप करने से क्या फायदा होता है
महामृत्युंजय मन्त्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं
पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव
बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
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महामृत्युंजय मंत्र क्या है, इसकी रचना कैसे हुई
धार्मिक ग्रंथो के अनुसार , एक ऋषि हुआ करते थे जिनका नाम था मृकण्ड , उनकी कोई भी संतान नहीं थी इसलिए वे हमेशा दुखी रहा करते थे , उन्होंने निश्चय किया की वे संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की तपस्या करेंगे क्योंकि भगवन भोलेनाथ ही ऐसे ईश्वर है जो विधि का विधान बदल सकते हैं
मृकण्ड ऋषि ने भगवन शिव की तपस्या आरम्भ कर दी , भगवान् शिव भी जानते थे की मृकण्ड ऋषि उनकी तपस्या क्यों कर रहे हैं , इसलिए भोलेनाथ ने उन्हें जल्दी दर्शन नहीं दिए ,मृकण्ड ऋषि ने जब घोर तपस्या की तपस्या को देखकर विवश हो कर भगवान ने उनेह दर्शन दिए , और उनेह पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया , परन्तु उनेह ये भी कहा की ये वरदान तुमेह सुख के साथ दुःख भी देगा ,क्योंकी पुत्र की वरदान में अलप आयु थी।
ऋषि को पुत्र की प्राप्ति हुई , उन्होंने उसका नाम मार्कण्डेय रखा , जब ज्योतिषों के द्वारा उनेह पता चला की उनके पुत्र की अल्पायु है जो की मात्र 12 वर्ष की है , तो वो बहुत दुखी रहने लगे , पर उन्होंने सोचा की जिनके वरदान से इसकी प्राप्ति हुई है वे ही इसकी रक्षा करेंगे।
बड़े होने पर ऋषि ने मार्कंड़य को शिवमन्त्र की दीक्षा दी , मार्कण्डेय को भी पता चल गया की उनकी अल्पायु है , तो उन्होंने भी निस्चय किया की वे दीर्घायु के लिए शिव जी के आराधना करेंगे। तब उन्होंने इस महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव जी के मंदिर में इस मंत्र का अखंड जाप करने लगे।
समय पूरा होने पर जब यमदूत उनेह लेने आये तो उनके अखंड जाप को देखकर उनकी हिम्मत नहीं हुई उनेह ले जाने के लिए , वे खाली हाथ ही लौट गए , खाली हाथ देखकर यमराज को खुद ही मार्कण्डेय को लेने आना पड़ा , जब यमराज उनेह ले जाने की कोशिश करने लगे तो मार्कण्डेय शिवलिंग से चिपट गए , यमराज जब उनेह खींचने लगे तो वही एकदम से जोरदार हूंकार हुई , और एक तेज सी रौशनी प्रगट हुई , शिवलिंग से खुद भगवान भोले प्रगट होगये और उन्होंने यमराज पर क्रोध प्रगट किया और कहाँ की तुम्हरी ये हिम्मत भी कैसे हुई मेरे भक्त को खींचने की , तो यमराज थर थर कांपने लगा और हाथ जोड़कर विनती करने लगा , महाकाल का जब क्रोध शांत हुआ तो उन्होंने कहाँ की में अपने इस भक्त की भक्ति से प्रसन्न हूँ और मेने इसे दीर्घायु का वरदान दिया है ,इसलिए तुम इसे नहीं ले जा सकते , यमराज ने हाथ जोड़कर कहा की जैसी आपकी आज्ञा प्रभु ,यमराज ने ये भी प्रण लिया की जो भी व्यक्ति मार्कण्डेय ऋषि द्वारा रचित श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करेगा उसे में कभी भी त्रास नहीं करूँगा।
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महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ /मतलब क्या है
हम तीन नेत्रों वाले प्रभु का चिंतन करते हैं , जो की जीवन की मधुर परपूर्णता को पोषित करता है और वृद्धि करता है ,ककड़ी की तरह हम इसके तने से अलग हम जीवन एवं मृत्यु के बंधन से मुक्त हों।
महामृत्युंजय मंत्र जाप करने के फायदे
१. यदि किसी रोग से पीड़ित हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए या जाप को चलना चाहिए , इससे रोग से मुक्ति मिलती है
२. यदि किसी तरह की जमीन जायदाद का विवाद हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या घर पर चलाएं
३. यदि किसी वजह से धन की हानि हो रही हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या घर पर चलाएं
४. ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली में गृह आदि दोष हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए या घर पर चलाएं।
५. यदि किसी बजह से धार्मिक कार्यों में मन नहीं लगता हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या घर पर चलाएं
६. नाड़ीदोष में भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता है
७. यदि घर में किसी भी तरह का क्लेश हो तो महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए या घर पर चलाएं
८ यदि घर में नेगेटिविटी हो तो महामृत्युंजय मंन्त्र का जाप घर में चलना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का समय
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का सबसे अच्छा समय सोमवार है , वैसे तो इसका जाप कभी भी किया जा सकता हैं पर सोमवार का दिन भगवान् भोले का होता है इसलिए इस दिन जाप करना अत्यंत शुभ होता है , सावन के दिनों में इसका जाप करना अति फलदायक होता है ,
महामृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करें /मंत्र जाप की विधि
इस मंत्र का जाप करने के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए , सबसे अच्छा मुहूर्त प्रातः बेला में होता है ,स्नान करके भगवान शिव की प्रतिमा के आगे आसन ग्रहण करें , घी का दीपक और धुप प्रज्वलित करें और मंत्र का जाप करें।
रोज मंत्र को चलाया भी जा सकता हैं
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