भगवान के पूजन में हम अगरबत्ती का प्रयोग करें अथवा ना करें
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भगवान् की आरती-पूजन कैसे करें
भगवान की पूजन का एक क्रम है आपके हमारे पूर्वजों ने इस क्रम को बहुत श्रेष्ठता पूर्ण और तर्कसंगत क्रम प्रदान किया है इस क्रम में सर्वप्रथम भगवान का आह्वान करना अर्थात भगवान से प्रार्थना करना कि मैं जो पूजन करने जा रहा हूं आप इस पूजन में मेरे सामने अपने स्थान पर विराजमान हो और मुझे अपने दर्शन दे करके कृतार्थ करें और पूजा के समय मेरे चारों तरफ आठों दिशाओं में आकर मेरी रक्षा करें।
पूजा में पाँच बार जल क्यों चढ़ाया जाता है
पूजा में हम जो 5 बार जल चढ़ाते हैं इस जल को चढ़ाने के पीछे भावना होती है कि एक बार भगवान के पैर धोने के लिए फिर अर्घ के लिए फिर आचमन केलिए उसके बाद स्नान के लिए उसके बाद पुनःआचमन के लिए इस प्रकार 5 बार जल दिया जाता है इसके बाद भगवान को वस्त्र उप वस्त्र के लिए कलावा अर्पित करते हैं उसके बाद भगवान को गंध अक्षत देखें हम और आप भगवान को रोली चढ़ाते हैं , वास्तविक रूप में भगवान को रोली चढ़ाने का विधान नहीं है उन्होंने गंध का प्रयोग बताया है पर मध्यकाल में रोली का प्रयोग होने लगा और रोली को गंध का पर्यायवाची माना जाने लगा परंतु रोली एक वैकल्पिक है ,
समान तौर पर एक पत्थर के चकले पर केसर और कपूर डालकर उसे सफेद चंदन से घिसे वह गंद है, देवताओं की स्थिति के अनुसार चंदन अष्टगंध के द्वारा निर्मित किया गया है रोली और चंदन की जगह सफेद चंदन को कपूर और केसर डाल कर घिसे और भगवान को लगा कर के फिर उसे अपने मस्तक पर लगाएं उससे परमात्मा के तेज की प्राप्ति होती है भगवान को जल प्रदान करने से हम को शांति प्रदान होती और भगवान को गंध चढ़ाने से हमको मांगलिक की प्राप्ति होती है ,
पूजा में भगवान को चावल क्यों और कितने चढ़ाये जाते हैं
भगवान को चावल चढ़ाए जाते हैं तो क्यों और कितने चढ़ाये जाते है भगवान के पूजन में टूटे चावल का प्रयोग ना करें भगवान को सफ़ेद चावल चढ़ाते है चंदन को मिश्रित करके भगवान को चावल चढ़ाये, भगवान को चावल चढ़ाने से अष्ट की प्राप्ति होती है , यदि हमारे साथ दुर्घटना होने की स्थिति बन रही है तो तो चावल चढ़ाने की कृपा प्रभाव से हमें दुर्घटना से रक्षा मिलती है चावल कितने चढ़ाये इसको लेकर तंत्र शास्त्र ग्रंथों में लिखा है पुरुष देवता के लिए 8 चावल चढ़ाएं और स्त्री देवता के लिए 9 चावल चढ़ाये ,यदि भगवती का अथवा स्त्री देवता का पूजन करें तो लाल चंदन घिस कर कपूर और केसर के साथ चढ़ाए
मस्तक पर चन्दन लगाने से क्या फायदा होता है
अपने मस्तक पर चंदन लगाने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है और मस्तिष्क पर चंदन मध्यमा उंगली से तिगुणि माध्यम के ऊपर को भाग पर है अनामिका उंगली से चंदन लगाने पर श्री की प्राप्ति होती है पितृ पूजन के लिए चंदन लगाने के लिएअनामिका उंगली का प्रयोग करें यजमान के तिलक अथवा चंदन लगाने के लिए अंगूठे का प्रयोग करें भगवान को चंदन लगाने के लिए अनामिका उंगली का प्रयोग करें परंतु श्रीयंत्र का पूजन कर रहे हो तो उस भगवती राजराजेश्वरी को गंद अर्पित करने के लिए सबसे छोटी उंगली का प्रयोग करें
आरती अगरबती से करें या दीपक से
अगरबत्ती हम और आप समान्तर पूजा में प्रयोग करते हैं, धर्मशास्त्र में अगरबत्ती का कोई उल्लेख नहीं है धर्म शास्त्र में धूप का प्रयोग प्राप्त होता है और भगवान को धूप प्रदान करने का मंत्र है , उसका शब्दार्थ है कि हे भगवान अनेकों प्रकार की सुगंधित वनस्पति घी शहद इन से मिश्रित यह धूप में आपको प्रदान करता हूं ,धुप से पुष्टता की प्राप्ति होती है और यश की प्राप्ति होती है
भगवान के आगे दीपक जलाने से क्या फायदा होता है
पूजा में दीपक भगवान को प्रदान करने से हम को तेज की प्राप्ति होती है भगवान के पूजन में प्रयोग होने वाली वस्तु समांतर जांच करने की क्षमता नहीं रखते हैं, पूजा में एक अंतर असुविधा के कारण आया, पहले घर में चंदन लगाने के लिए एक छोटे पत्थर की चकलिया और चंदन का मुठा रहता था अब चंदन की डिब्बी आने लगी किसी को पता नहीं है इस डिब्बी में क्या है इस डिब्बे में मुल्तानी मिट्टी अथवा अरारोट दोनों वस्तुओं के अलावा तीसरी वस्तु इत्र रंग के अलावा और कुछ नहीं है, इसी प्रकार धूप की स्थिति है ,धूप में समानता है ,धर्म शास्त्र में कहा गया है कि जसमसि, तेजपात, बड़ी हर, मुलेठी,तगर, अगर, कपूर, शिलाजीत इत्यादि अस्थगंध अथवा सोलास्टदिर्व्य 16 प्रकार की वस्तु अथवा आठ प्रकार की वस्तुएं एकत्रित करके पीसे इन्हे पीस कर इसमें की घी,शहद मिलाएं फिर इसकी धुप प्रदान करें।
वर्तमान में हमको आपको जो धुप मिलती है , आपको धूप की जो कीमत दिखती है उसको देख कर के समझ जाए आपको क्या प्राप्त होता है, सेंट मिली आपको यह धूप 50 रुपए किलो में प्राप्त हो जाती है इस से अच्छा है कि छार छबीला, तेजपात दोनों की महीन पीसकर इसमें थोड़ा धूप घी शहद मिलाकर लाल कण्डा करके इस पर एक चम्मच डाले , अगर आप इसकी धुप भगवान को दे तो आपके घर में सुगंध की प्राप्ती होगी।
और एक योग में आपको बताता हूं पीली सरसों, गूगल, काली मिर्च बड़ी हद, मुलेठी, शुद्धराल, गुड़, कपूर और गुड, कपूर को छोड़कर बाकी सब को समानता भाग में ले गुड़ कपूर को पहले जो वस्तु बताई गई है उसको आधे भाग में लें जैसे इत्यादिक बस्तु यदि 50 ग्राम ली गई है तो गुड कपूर को 25 -25 ग्राम में ले इन सब को मिक्सी में पीस लें पीसते समय हर को तोड़कर पीसे , इन सब को पीसकर इसमें तीन चार चम्मच घी शहद मिला लें इस मिश्रण को रख ले जिस प्रकार नवरात्रि में अग्यारी हम करते हैं उसअग्यारी के समान प्रतिदिन एक छोटा सा कण्डा का टुकड़ा गर्म करके उस पर एक चम्मच धूप डालकर के भगवान के आगे रखें , इसकी धूप भगवान को प्रदान करें तो आपके घर में कोई भूमिगत दोष है, वास्तु दोष, दुष्ट दृष्टि का दोष, या किसी प्रकार का कोई सेलदोष उसके कारण आप मानसिक अथवा आर्थिक कष्ट भोग रहे हैं भगवान की कृपा से 110%विश्वास पूर्वक माने यदि इस धुप को आप 2 महीने प्रदान करें आपको कष्टों से मुक्ति की प्राप्ति होगी और अगरबत्ती का प्रयोग धर्म शास्त्र की दृष्टि से भगवान की पूजा में नहीं होता है
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